tag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post1728069566136644234..comments2024-03-17T14:51:29.906+05:30Comments on भड़ास blog: वर्तमान पत्रकारिता और पत्रकारः ऐसे वैसे कैसे कैसे रंग रूप? ........उधार के कुछ चिल्लर लेख-आलेखयशवंत सिंह yashwant singhhttp://www.blogger.com/profile/08380746966346687770noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-9160965038745462482008-04-21T17:11:00.000+05:302008-04-21T17:11:00.000+05:30दादा,इंद्रधनुष की रंगो की पट्टियों में काले रंग की...दादा,इंद्रधनुष की रंगो की पट्टियों में काले रंग की पट्टी क्यों नहीं होती? तीनो लेख गहरे हैं? संजय तिवारी जी ने बात करी थी तो ये बात तो उनके शब्दों में ही सुनी थी कि पत्रकारिता मात्र मूल पत्रकारिता और स्टेनोग्राफ़ी के बीच झूल रही है...डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)https://www.blogger.com/profile/13368132639758320994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-36758557272931833892008-04-21T16:52:00.000+05:302008-04-21T16:52:00.000+05:30दादा कमाल के है ये तीनो लेखबडा कटु है मगर सत्य है,...दादा कमाल के है ये तीनो लेख<BR/><BR/>बडा कटु है मगर सत्य है, और ये ही सत्य है कि व्यापार के इस दौर में बस ब्यव्साय ही बचा रह गया है, पत्रकारिता गयी तेल बेचने, आपने सत्य कहा बहुत सारे पत्रकार मित्र इस पर अपनी राय रखेंगे मगर करेंगे वही जो आपने लिखा है । अब उनकी मजबूरी या उनके जेब कि ये तो वो ही जाने मगर अपने कलम को उन्होने अपने मालिकान का रखैल जरूर बना दिया है <BR/><BR/> वैसे अम्बरीश जी का लेख Anonymousnoreply@blogger.com