tag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post1872356777309713122..comments2024-03-17T14:51:29.906+05:30Comments on भड़ास blog: भइया की विदाईयशवंत सिंह yashwant singhhttp://www.blogger.com/profile/08380746966346687770noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-36848592078620227582009-05-18T18:02:00.000+05:302009-05-18T18:02:00.000+05:30उफ, विनोद शुक्ल उर्फ भइया नहीं रहे। यकीन नहीं हो र...उफ, विनोद शुक्ल उर्फ भइया नहीं रहे। यकीन नहीं हो रहा। पिछले साल लखनऊ से राजू ने पंकज बिहारी को मेरे यहां भिजवाया था। तब सबके बारे में खूब चरचा हुई थी। पंकज ने बताया था भइया बीमार रहते हैं। हालांकिभइया से मेरा कोई सीधा नाता नहीं है. लेकिन उनके दर्शन दो बार हुए हैं। एक बार लखनऊ में राजू के घर रुका था तब। राजू आज कानपुर से ही भइया के साथ जागरण में आया था। इस दौरान हजरतगंज कोतवाली के सामने वाले दफ्तरमुकुंदhttps://www.blogger.com/profile/11660446752434479913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-64575820328839258762009-05-18T17:58:00.000+05:302009-05-18T17:58:00.000+05:30उफ, विनोद शुक्ल उर्फ भइया नहीं रहे। यकीन नहीं हो र...उफ, विनोद शुक्ल उर्फ भइया नहीं रहे। यकीन नहीं हो रहा। पिछले साल लखनऊ से राजू ने पंकज बिहारी को मेरे यहां भिजवाया था। तब सबके बारे में खूब चरचा हुई थी। पंकज ने बताया था भइया बीमार रहते हैं। हालांकिभइया से मेरा कोई सीधा नाता नहीं है. लेकिन उनके दर्शन दो बार हुए हैं। एक बार लखनऊ में राजू के घर रुका था तब। राजू आज कानपुर से ही भइया के साथ जागरण में आया था। इस दौरान हजरतगंज कोतवाली के सामने वाले दफ्तरAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01960374204033338661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-56069780991360072422009-05-18T17:56:00.000+05:302009-05-18T17:56:00.000+05:30उफ, विनोद शुक्ल उर्फ भइया नहीं रहे। यकीन नहीं हो र...उफ, विनोद शुक्ल उर्फ भइया नहीं रहे। यकीन नहीं हो रहा। पिछले साल लखनऊ से राजू ने पंकज बिहारी को मेरे यहां भिजवाया था। तब सबके बारे में खूब चरचा हुई थी। पंकज ने बताया था भइया बीमार रहते हैं। हालांकिभइया से मेरा कोई सीधा नाता नहीं है. लेकिन उनके दर्शन दो बार हुए हैं। एक बार लखनऊ में राजू के घर रुका था तब। राजू आज कानपुर से ही भइया के साथ जागरण में आया था। इस दौरान हजरतगंज कोतवाली के सामने वाले दफ्तरAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01960374204033338661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-12531788127427317502008-01-20T21:50:00.000+05:302008-01-20T21:50:00.000+05:30मैं जब आई-नेक्स्ट लखनऊ में आया तो विनोद शुक्ला के ...मैं जब आई-नेक्स्ट लखनऊ में आया तो विनोद शुक्ला के प्रति मेरे मन में तमाम किस्म के पूर्वाग्रह थे. ज्वाइन करते ही जब यह पता चला कि बहुत निजी किस्म की पसंद-नापसंद से (मसलन मैं किसका भाई हूं..) उन्होंने मेरी ज्वाइनिंग पर सख्त ऐतराज जताया और लगातार इस कोशिश में रहे कि इस नए बच्चा अखबार और उससे जुड़े़ लोगों को कैसे औकात में लाया जाए. खास तौर पर मैं छिपे तौर पर उनके निशाने पर रहा. आई-नेक्स्ट में आते ही दिनेश श्रीनेतhttps://www.blogger.com/profile/15607120596999021572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2640020083551135672.post-43925758570887794642008-01-20T18:25:00.000+05:302008-01-20T18:25:00.000+05:30मित्र, मन का भंडास निकल जाए तो राहत महसूस होती है....मित्र, मन का भंडास निकल जाए तो राहत महसूस होती है. आपके ब्लाग पर आज ठहरकर कुछ ऐसा ही महसूस हुआ. छत्तीसगढ़ के तमाम नामी अखबारों में ओहदेदार होने का अहसास कराने वाले पदों पर 20 साल से ज्यादा वक्त गुजारने के बाद तय कर लिया कि अब सब छोड़कर ब्लाग मंडली में दोस्त बनाए जाएं. कभी यहां आकर देखें www.cgreports.blogspot.com<BR/>राजेशराजेश अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/03166713468895085704noreply@blogger.com