आधा दर्जन शहरों की यात्रा करने के बाद और ढेर सारे पत्रकार व गैर पत्रकार मित्रों से मिलने के बाद मुझे लगा कि अब तो पत्रकारों के दुखों का शमन करने के लिए हेल्पसेंटर खोल देना चाहिए। पिछली पोस्ट स्वामी भड़ासानंद के यूं दिखने वाली डाली तो वाकई कई पत्रकार मित्रों के फोन व मेल आए। स्वामी जरा हमारे कष्ट को दूर करिए। मैंने पूछा क्या कष्ट है बच्चा, तो कुछ यूं बोले--
सवाल--15 वर्षों से पत्रकारिता में हूं, संपादक का खास हूं, लेकिन संपादक चाहता है कि मैं पूरे आफिस में कौन क्या बोल सोच व कह रहा है, इसकी जासूसी करूं और उसे एक एक लाइन बताऊं, बताइए भला, ऐसा कोई कैसे कर सकता है, आप मेरे कष्ट को दूर करिये??
तो मैंने उन सज्ज्न को जो समझाया वो इस प्रकार है....
स्वामी भड़ासानंद का जवाब-- हे बुजुर्ग बोले तो सीनियर पत्रकार। इस धंधे में चापलूसी और जासूसी अनिवार्य तत्व हैं। अगर आप जासूसी कर कर के आज तक आगे बढ़े हैं तो फिर इस काम को और अधिक गहराई व चालाकी से किए जाने के संपादक के डिमांड से दुखी क्यों हो रहे हैं? वैसे कई बार होता है कि डाकू का भी हृदय परिवर्तन होता है तो वो गैंग छोड़कर नार्मल जीवन जीने की कोशिश करता है लेकिन डाकुओं को तो उस पर मुखबिर हो जाने का शक हो जाता है और उसकी इहलीला खत्म कर डालते हैं। इसी प्रकार आप जिन चापलूसी और जासूसी के गुणों के आधार पर आज तक पल्लवित-पुष्पित हुए हैं, उसे छोड़ देंगे तो संपादक आपको उसी तरह शूट कर देगा जिस तरह गैंग छोड़कर जाने वालों को गैंग वाले शूट कर देते हैं। आप संपादक की इच्छाओं का शमन करिए लेकिन आप नई जगह नौकरी तलाशते रहिये पर ध्यान रखिएगा, नई जगह बात करते वक्त निष्ठावान होने और संपादक का झंडा फहराने जैसी बात न करियेगा वर्ना वह फिर जासूसी व चापलूसी की मांग करने लगेगा। आप सिर्फ और सिर्फ बेहतर कंटेंट देने, बेहतर अखबार निकालने व बढ़िया रिजल्ट देने की बात करिये, उम्मीद है आपको नई नौकरी में दिक्कत नहीं आएगी।
वो भक्त संतुष्ट दिखे। लेकिन थोड़े नाराज भी थे, मेरे साफ साफ बोल देने से, लेकिन मैंने जैसे ही बताया कि बच्चा, मेरे इर्द गिर्द कोई नहीं बैठा है और ये बातें सिर्फ एक्सक्लूसिव आप तक ही पहुंच रही हैं तो वे नार्मल हुए। आप के भी कोई कष्ट हों तो स्वामी के कान में बोल सकते हैं, दुख दूर करेंगे बाबा.....
अगले रोज एक नए सवाल और जवाब के साथ फिर हाजिर होंगे बाबा, तब तक के लिए भक्तों जोर से बोलो......
जय भड़ास
यशवंत
जय भड़ास
ReplyDeleteक्या
ReplyDeleteबात है
जय हो स्वामी भडासानंदजी की
यशवंत भाई, बहुत खूब
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