आशीष महर्षि ने किसी ढिंढोरची नामक ब्लाग पर लिखी गई भड़ास की बुराई संबंधी पोस्ट को भड़ासियों को पढ़ाने के लिए भड़ास पर पोस्ट किया है और मुझे सूचित किया कि किसी ने भड़ास के खिलाफ लिखा है। ढिंढोरची पर गया और पढ़ा था तो लगा कि वो खुद ही इतना डरा हुआ बंदा है कि वो खिलाफ लिख ही नहीं सकता। वह पहले से ही कह रहा है कि भड़ास वाले उसे चप्पल बजायेंगे, गंदी गंदी गाली देंगे....। नहीं ढिंढोरची भाई, जब भगवान ने आपको ढिंढोरा पीटने के लिए ही पैदा किया है तो आप पीटो, हमें कतई बुरा नहीं लगेगा। भड़ास की बढ़ती सदस्य संख्या से आपका दुखी होना लाजिमी है, भड़ास पर गूगल एडसेंस के विज्ञापन लगा देने से आपका दुखी होना जिनुइन है, किसी की बढ़ती लोकप्रियता से जलभुनकर उस पर ओछे आरोप लगा देना मानवोचित है और भड़ास के साथी मानवोचित गल्तियों के लिए मनुष्यों को माफ कर दिया करते हैं। तो भई ढिंढोरची, आप अपना धंधा करो, ढिंढोरा पीटने का। हम लोग अपना करेंगे। और हां, आप को एक शुभ खबर दे दें, भ़ड़ास के 100 मेंबर हो गए। मतलब, जब हमने कहा था कि नए साल में 100 सदस्यों के साथ जाएंगे तो उसके चार दिन में ही 12 सदस्य बढ़ गए और भड़ासियों ने शतक ठोंक दिया।
खैर, आजकल जीवन इतना व्यस्त है कि पूछो मत। अभी जोधपुर से लौटा हूं। फिर इलाहाबाद जाने की तैयारी है। उसके बाद हरिद्वार और ऋषिकेश में मीटिंग्स हैं। मतलब, पूरा जनवरी बुक है। और हां, कुछ शुभ सूचनाएं भी हैं। एक नया चैनल खोलने के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं। मतलब पैसा लगाने वाला तैयार है, बस हमें उसे इंप्लीमेंट करना है लेकिन चैनल खोलने से पहले उसके ट्रांसमिशन से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन तक के खेल को समझना होगा। और हां, यहां बता दूं कि चैनल में बतौर किसी (आउट या इन) ...पुट एडीटर के बतौर नहीं बल्कि शेयर होल्डर के बतौर काम करने का प्रस्ताव है। देखते हैं, क्या होता है....।
जय भड़ास...
इलाहाबाद कब जा रहे है क्या कानपुर होते हुये जायेगें ।
ReplyDeleteफोन करियेगा.....बता दूंगा...
ReplyDeletedil ki baat dil me na rakho,
ReplyDeleteandar andar kabhi na rakho,
jo nahi lagta hai achacha,
nikalo bhadhas dil khol ke rakho,
agar nahi nikaloge bhadhas,
to ghutte rahoge ander ander,
ek din hoga aisa blast,
ho jayega sab khandar,
so don't wait for that time
nikalo bhadhas dil khol ke rakho,
o Nazar ne nazar se mulaqat kar li,
ReplyDeleterahe dono khamosh par baat karli...
Mohabbat ki fiza ko jab khush paya,
in aankhon ne roh roh ke barsaat kar li.