भाई तुम भटके हुए नहीं हो बल्कि हिन्दुस्तान भटक गया है और हमारे-आपके जैसे लोग ही सही रास्ते पर ला सकते हैं । मेरी भी लोग टांग खींचते हैं कि यार आप पत्रकार हो समाजसेवक नहीं ; लेकिन मेरी गुरूशक्तियां मुझे बतातीं हैं "पतनात त्रायते इति पत्रकारः" यानि कि जो पतन से मुक्ति दिलाए वह ही पत्रकार है । मैं और मेरे जैसे लोग हर हाल में तुम्हारे संग हैं । हम सब बदलाव चाहते हैं क्योंकि हम षंढ जैसी जिन्दगी नहीं जी सकते । मैं मतवाला , रणभेरी , सेनापति , न्रसिंह जैसे पत्रों में लिखने वालों का वंशज हूं ;अन्याय का विरोध करना मेरे D.N.A. में हैं मैं अगर बाजारवाद से डर कर बदलना भी चाहूं तो मर सकता हूं बदल नहीं सकता । क्रांति आती है पर आहुति देनी होती है । आखिर में ,जिनकी फटती है उनका मार्ग अलग है और हमारा अलग । मुझे पता है आप हरगिज न बदलोगे । आशीर्वाद....................
जुग-जुग जीयो भैया जसवंत, ललकरले रहा, एही तरे, मारा खेदि-खेदि के सरवन के। कुल भकुआइ गयल हउवैं।
ReplyDeleteभाई तुम भटके हुए नहीं हो बल्कि हिन्दुस्तान भटक गया है और हमारे-आपके जैसे लोग ही सही रास्ते पर ला सकते हैं । मेरी भी लोग टांग खींचते हैं कि यार आप पत्रकार हो समाजसेवक नहीं ; लेकिन मेरी गुरूशक्तियां मुझे बतातीं हैं "पतनात त्रायते इति पत्रकारः" यानि कि जो पतन से मुक्ति दिलाए वह ही पत्रकार है । मैं और मेरे जैसे लोग हर हाल में तुम्हारे संग हैं । हम सब बदलाव चाहते हैं क्योंकि हम षंढ जैसी जिन्दगी नहीं जी सकते । मैं मतवाला , रणभेरी , सेनापति , न्रसिंह जैसे पत्रों में लिखने वालों का वंशज हूं ;अन्याय का विरोध करना मेरे D.N.A.
ReplyDeleteमें हैं मैं अगर बाजारवाद से डर कर बदलना भी चाहूं तो मर सकता हूं बदल नहीं सकता । क्रांति आती है पर आहुति देनी होती है । आखिर में ,जिनकी फटती है उनका मार्ग अलग है और हमारा अलग । मुझे पता है आप हरगिज न बदलोगे । आशीर्वाद....................
मेरे दोस्त सच की राह में हमेशा बाधाएं आती है लेकिन युग पुरुष उनसे डरते नही है उनसे टकराते है मेरी शुभ कामनाएं आपके साथ है......
ReplyDeleteआपका - अनिल यादव.....