यह सही है कि अभाव मेँ एक अलग किस्म की रचना शक्ति को जनम देता है.उसका नाम है जुगाड़ .और यह कला हम भारतियो मेँ कूट कूट कर भरी हुई है.हमने एक बार फिर साबित कर दिया कि जुगाड़ सास्तर के हम सबसे बडे कलाकार हैं ।
कहीं कि ईंट कही का रोड़ा कि तर्ज पर बना डाली दुनिया कि सबसे सस्ती कार .पूरी दुनिया हमारा मुहं तकती रह गयी ।
पर बेचारे दुनिया वाले क्या जाने कि जुगाड़ एक ऐसी कला है जिसे हम भारतीय बचपन से ही एक अतिरिक्त योग्यता के रूप मेँ सीखते हैं .अब चाहे पेपर मेँ पास होने के लिए 'नक़ल' , किराया बचाने के लिए' रेल की छत पर बैठकर सफर करना',शादी के लिए 'कुंडली' का जुगाड़, झमेले से बचने के लिए' रिश्वत 'का ,या फिर नोकरी पाने के लिए सोर्स का जुगाड़ हो । इस कला मेँ हम पारंगत हो जाते हैं ।
अब बाकी दुनिया जले तो जले .उसकी बला से .पर एक लाख की कार तो भारतीय इंजिनियर ही बना सकते है न .भाई ,एक अतिरिक्त गुण जो दिया है उपरवाले ने.
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