18.1.08

टीवी न्यूज चैनल की पायल, अलीगढ़ के न्यायाधीश अंगद और लखनऊ के पत्रकार शीलेश

ये तीन घटनाक्रम हैं। तीनों बेहद गंभीर। क्या करा जाये? क्या किया जा सकता है? उम्मीदें तो लोग बहुत पालते हैं लेकिन पहल कोई नहीं करता। बकचोदी तो बहुत सारे लोग करते हैं, लेकिन जब कर दिखाने का दौर आता है तो सब अपने अपने आरामदायक खोल में छिपे रहते हैं, कोई आगे आकर मुसीबत में नहीं पड़ना चाहता। पर हम अपने खोल में रहकर भी कुछ चीजें कर सकते हैं। और, वही मैंने आज किया। भड़ास में इन तीनों मुद्दों को देखने के बाद मैंने तो पहले अपने कर्तव्य के बारे में चिंतन किया, फिर जुट गया। फिलहाल सब फोन पर और मौखिक है, लेकिन इससे एक नींव सी बनती दिख रही है, बशर्ते बाकी साथी भी थोड़ा थोड़ा कर्तव्य निभा दें।

मैंने ये तीन काम किये--

पहला काम--
एक टीवी न्यूज चैनल की रिपोर्टर पायल सिंह के सड़क हादसे में घायल होने को उस मीडिया हाउस ने अगर पत्रकारिता पर हमला बना दिया, तो यह बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। इस सच्चाई को बयान करने वाले भड़ासी आशीष जैन को ढेर सारी बधाइयां, जो उन्होंने साहस के साथ इस बात को सबके सामने उजागर किया। आशीष की बहादुरी तो देखिए कि उन्होंने ये बातें कहते हुए अपनी मेल आईडी और मोबाइल नंबर भी भड़ास पर डाल दिया है। है किसी माइ के लाल में यह गूदा? पत्रकारिता में बड़े बड़े चारण भाट टाइप के लोग सिद्धांत इसलिए बघारते हैं क्योंकि उनके मुंह में बवासीर का मर्ज होता है और जय जय इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें तेल लगाते हुए गांड़ मराते हुए आगे बढ़ना होता है।

आशीष जैसी नई उम्र की पौध विश्वास बंधाती है कि इस बेहद गंधियाये, गोबरियाये और हगियाये हुए माहौल में भी सच को पूरे सच के साथ कहने वाले लोग हैं। भई, अपन तो इस लौंडे को दिल से सलाम कहते हैं, साथ में निवेदन की अपने को संभालकर रखना मेरी जान, बड़े कीमती हो।

मैंने आशीष को उनके मोबाइल नंबर पर फोन कर बधाई दिया, और संपर्क में रहने अनुरोध किया, भविष्य में किसी दिक्कत या मुसीबत में हर क्षण उपलब्ध होने का भरोसा दिया। साथ ही, थोड़ी नसीहत भी कि जोश के साथ होश बनाए रखना और सच कहने के साथ सच के पक्ष में तथ्य जुटाए रखना भी जरूरी है ताकि कल को किसी स्थिति में अपने सच्चाई के पक्ष में सुबूत भी दिखा सकें।


दूसरा काम--

अलीगढ़ के न्यायाधीश अंगद सिंह को जो त्रासदी झेलनी पड़ रही है, उसे उजागर करते हुए डा. रुपेश जी ने जो कुछ लिखा, वह सराहनीय है। उन्होंने अपनी पोस्ट में एक मोबाइल नंबर भी दिया है, जो अंगद सिंह जी के सबसे छोटे भाई का है। इस नंबर पर एसएमएस कर उनकी मुहिम में साथ होने का अनुरोध किया है। डाक्टर साहेब के आदेशों का पालन करते हुए मैंने एसएमएस करने के बजाय सीधे फोन किया और मैंने जज साहब के छोटे भइया से कहा कि दिल्ली आवें, तो जरूर बतायें। हम लोग आपके साथ हैं। पूरा भड़ास आपके न्याय के युद्ध में आपका हिस्सा बना रहेगा। उन्होंने दिल से शुक्रिया अदा किया और लगातार संपर्क में रहने की बात कही।

तीसरा काम

लखनऊ के पत्रकार शीलेश की जो दास्तां भड़ास पर उजागर हुई है, उसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए मैं मैंने अपने कानपुर आईनेक्स्ट के दद्दा और सीनियर मीडिया मैन अनिल सिन्हा जी से बात की। उनसे अनुरोध किया कि जिस तरह उन्होंने कानपुर में आईनेक्स्ट के पत्रकार पर हमले के दौरान पूरे भड़ास को तथ्यों और घटनाओं से अवगत कराया, उसी तरह इस मामले में थोड़ी सी पहल करें और शीलेश के प्रकरण के तथ्य जुटाकर भड़ास पर प्रेषित करें ताकि हम आगे की कार्रवाई कर सकें।

शीलेश का अगर मोबाइल नंबर मिल जाए, वो अफसर जो उड्डयन विभाग में सर्वोच्च पद पर तैनात है, उसका नाम और मोबाइल नंबर आदि मिल सके तो फिर हम लोग कुछ समुचित कार्रवाई की दिशा में बढ़ सकें।

दादू अनिल सिन्हा जी ने वादा किया कि वे आज आफिस पहुंचते ही इस मामले को देखेंगे।


अंत में...डा. मांधाता सिंह से अनुरोध करूंगा कि वो भी अपने संपर्कों संबंधों के जरिये इस मामले के तथ्यों का पता करें। लखनऊ के भड़ासी साथियों और अन्य संवेदनशील बंधुओं से अनुरोध है कि वो शीलेश के मामले के लैटेस्ट अपडेट्स से हमें अवगत करायें। वे खुद पहल करते हुए शीलेश से संपर्क साधें। ताजा डेवलपमेंट क्या है, प्रशासन ने क्या स्टैंड लिया है, बाकी पत्रकार बंधु क्या कर रहे हैं, इस सब के बारे में बतायें।

फिलहाल इतना ही,
जय भड़ास
यशवंत

4 comments:

  1. य़शवंत जी मीडिया के आंतरिक माहौल की हकीकत तो यही है, जो आपने पूरे साहस से उजागर की है। बस बात बिल्लियों के गले में घंटी बांधने वाले पत्रकारों की कमी की है। और दलाली का जो मजा है, वो खुद्दारी और ईमानदारी में कहां?

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  2. आदरणीय दादा,आपको किन शब्दों में धन्यवाद करूं समझ नही आ रहा ;आपने जस्टिस आनंद सिंह की फोन करके खबर ली तो अब लग रहा है कि आशा की किरण नहीं बल्कि साक्षात तेजस्वी मार्तन्ड भगवान मार्ग दिखाने प्रकाश लेकर आ गए हैं । न्याय पालिका , कार्य पालिका और विधायिका को अब पत्रकारिता सही रास्ता दिखाएगी और न चलने पर कान खींच कर बाध्य भी करेगी । मैं अनुग्रहीत हूं आपके इस अनौपचारिक प्रेम से , प्रणाम स्वीकारिए .....................

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  3. हिला दिया सर आपकी बातों ने ये लाइनें तो मुर्दों में जान डाल दें सर इंसानों की बात ही क्या अभी तो मैं सर मिडिया लाइन में न्या हूँ लेकिन सर आज मैं ये प्रण लेता हूँ कितनी ही मुश्किले राह में क्यों न आये लेकिन मैं सच का दामन कभी न छोड़ूँगा,,,,,,,,,,,
    अनिल यादव
    मो. 09990794595

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  4. यशवंत जी आपका अंदाज पसंद आया,मैं आपकी हर मुहिम में मैं आपके साथ हूँ,जनाब गाली देने का आपका अदांज हम भी अपनी शायरी में लाने की कोशिश करेगें।
    साला दाई मताई डारेक्टवा हम नहीं दे पा रहें हैं पर आप झपक जुनून भर रहें हैं जल्द ही हम भी आपकी लाईन में खडे होंगें।

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