हम भारतीय अपनी परम्पराओं का पालन बढ़ी ईमानदारी के साथ करते हैं .भाई इसी से तो हमारी संस्कृति इतनी महान है.जरा सोचिएगा अगर धरत राष्ट्र पुत्र मोह में नही पड़ते तो महाभारत कैसे होता और भारतीय संस्कृती का इतना महान ग्रंथ कैसे लिखा जाता ।
इसी परम्परा को अब हमारे नेता बढ़ी निष्ठा के साथ निभा रहें हैं । भारत मेँ अनेक धरत राष्ट्र पैदा हो गए हैं .पुत्र मोह परम्परा के लिए मराठी शेर बल ठाकरे ने तो पार्टी ही तुड़वा ली .अपने देव गोड्डा साहब ने तो बेटे के चक्कर में पार्टी का घनचक्कर ही बना दिया है .बेटे कुलदीप विस्नोई खातिर अपने भजन करने के दिनों मेँ भजनलाल ने कांग्रेस छोड़ कर नई पार्टी ही बना डाली .उधर शरद पंवार के खेमे से भी खबर आ रही है कि भतीजा अजित पंवार ख़म ठोंक सकता है .लकिन इस परम्परा को निभाने का स्वर्ण पदक मिलेगा हमारे माननीय कलिग्नार करुनानिधि जी को ,इन साहब ने तो परम्परा के लिए अपने भांजे को केन्द्रीय मंत्री के पद से सीधे जमीन पर ला पटका .बहरहाल संतोष है कि अब आने वाली जनरेशन के लिए अनेक महाभारतों की सम्र्द्साली विरासत तो छोड़
जायेंगे।
गौतम यादव भारतीय जनसंचार संस्थान ,नईदिल्ली gautamyadav420@gmail.com
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete