सभी भड़ास परिवार को अपने आशीष का नमस्कार ..........नया आया हूँ इसीलिए गलतियों होना लाजिमी है 21 वी शताब्दी यानी अपना हिंदुस्तान वो हिंदुस्तान जो रुकना नही जानता ...जो जानता है सिर्फ और सिर्फ भागना .....उसकी रफ़्तार इतनी तेज़ कि मानो अपना भी पीछे छुट जाये ..सवाल उठता है कौन सा हिन्दुस्तान गाँधी वाला या फिर शाहाबुदीन वाला .......अम्बानी वाला या फिर पश्चिम बंगाल वाला जहा पर रोटी आज भी नाराज है सिर्फ एक तबके से ..यह वो तबका है जिनकी संख्या सबसे ज्यादा है .......खैर यह दिमाग भी पगला हे .....बार -बार भूल जाता है की पत्थर अब नही बोलते ...........जी हां जनाब एक वक़्त था जब हर बोलता था बल्कि उस दौर मे हर कोइ चीख रहा था ....पुरा हिन्दुस्तान इतनी तेज़ चीखा की अंग्रेजो ने जाते जाते कह दिया हार गए हम /वो दौर था जब पत्रकारों की परीक्षा थी वो दौर फिर आ गया है अपने लिए ....क्योंकि आज हमारे दुश्मन हम खुद है .....एक नज़ारा अपने हिन्दुस्तान के नए पेशे का ...
.दलाली..............................................................................जी हां जबाब ...दलाली देश....के चौथे स्तंभ की .......पत्रकारिता का हर वो नुमाईन्दा जो कहता है मज़बूरी है दोस्त ...रोटी तो खानी है ...एक हिन्दुस्तानी होने के नाते देश कि त्रासदी को समझे ... पश्चिम बंगाल मे महिलाओं के साथ सरेआम बलात्कार और फिर हत्या...... विदर्भ मे ज़हर खाते किसानों के परिवार ....... क्या यही है अपना हिन्दुस्तान ?????? आख़िर कहाँ है गाँधी का भारत ??सवाल यही उठता है कि आखिर किस गली जा रहे है हम ??
ने भी नही सोचा था सब कुछ बिकेगा इस देश मे ---अगर आप अब भी समझ नही पा रहे तो चिंता मत कीजिए ---
मैं आप को दलाल नही कहूंगा ---आप तो पत्रकार है -पत्रकारिता करते है देश के लिए --- ---
ये शब्दों की दुर्गन्ध उन लोगो के किये है जो बोलते है हम पत्रकार तो है पर समाजसेवक नही ....सोचो जनाब आप कौन है ? अपने दिल से पूछना ना की दिमाग से ? क्योंकि उसने धक्-धक् करना बंद कर दिया है ---
ये शब्दों की दुर्गन्ध उन लोगो के किये है जो बोलते है हम पत्रकार तो है पर समाजसेवक नही ....सोचो जनाब आप कौन है ? अपने दिल से पूछना ना की दिमाग से ? क्योंकि उसने धक्-धक् करना बंद कर दिया है ---
आप अपनी राय हमें जरुर दे-
मेरे प्यारे आशीष , महापुरुषों ने बोला कि इच्छा दुःख का कारण होती है तो मैं मानता हूं अपेक्षा बड़े दुःख का कारण होती है तो अपनी आहुति देने वालों को दूसरों से उम्मीद नहीं करनी चाहिये कि तुम्हारे संग लोग भी परिवर्तन के हवन कुंड मे कूद पड़ेंगे । इसलिये जारी रहो भड़ास पर हमें कोई नहीं रोकेगा पर ध्यान रखना कि गले में अटकी बात को ही उगलना ,आंतो में अटकी बात इधर नहीं निकालना । आशीष यह तुम्हारा वाद है इसलिये मैं इसे आशीर्वाद कहूंगा ।
ReplyDeleteitni achchi bhi nahi hoti bhadas
ReplyDeletetoot jaye purane patrkaron ki aas