भड़ास की दुकान तो चल निकली है। भड़ासियों ने मुंह खोलना शुरू कर दिया है। नए नए लोग भड़ासी बन रहे हैं। रोजाना पांच से दस पोस्टें भड़ासी लिख रहे हैं। आनलाइन माध्यम में हिंदी की जय जय के इस दौर में हिंदी वाले साथियों ने आत्मविश्वास का एक नया मुहावरा सीखा है। अंग्रेजी नहीं आती तो नहीं आती, बला से। हिंदी आती है तो यह काफी है। आप दुनिया से हिंदी के जरिये जुड़े रह सकते हैं। मित्रों से हिंदी में चैट कर सकते हैं। अपने दिल की बात हिंदी में कह सकते हैं। अपने आफिस का काम हिंदी में कर सकते हैं। हालांकि आफिस वाले मामले में अभी थोड़ी दिक्कत है क्योंकि ढेर सारे आफिसों में लार्ड मैकाले की संतानें अब भी अंग्रेजी में ही सब कुछ करने को कहती हैं लेकिन अगर हिंदी वाले अपने साथी इसी तरह आत्मविश्वास से हिंदी की जय जय करते रहेंगे तो वह दिन दूर नहीं कि लार्ड मैकाले की संतानें अल्पमत में पड़ जाएंगी और फिर उनकी अंग्रेजी को आफिसों से खदेड़ दिया जाएगा। बस, थोड़ा इंतजार करिए। ये जो ब्लागरों की फौज तैयार हो रही है, हिंदी की, वो इन सब काले अंग्रेजों की ऐसी-तैसी करने ही वाली है और कर भी रही है।
भड़ास से रोज नए साथी जुड़ रहे हैं और अब सबका नाम याद रख पाना मेरे लिए कठिन हो रहा है। इसलिए नए साथियों से क्षमा मांगते हुए कहना चाहूंगा कि कोई आपकी पोस्ट पर कमेंट करे या न करे, आप अपनी बात लिखना जारी रखो। और हां, हो सके तो खुद का भी एक ब्लाग बना लो। भड़ास तो कम्युनिटी ब्लाग है जहां अब 203 सदस्य हो चुके हैं। यहां आप जो लिखेंगे वो पूरी दुनिया पढ़ेगी, पूरा देश पढ़ेगा। आपकी बात सब तक पहुंचेगी। पर जब आप अपना ब्लाग बनाते हैं तो न सिर्फ अपने व्यक्तित्व व आइडेंटिटी को एक आनलाइन शक्ल देते हैं बल्कि आनलाइन माध्यम में अपना एक कोना भी रखते हैं। जरूरी नहीं कि ब्लाग बना लें तो रोज ही लिखें, लेकिन महीने पंद्रह दिन में अपने ब्लाग पर भी लिखें। इससे आगे चलकर आपको कई तरह के फायदे मिल सकते हैं। ब्लाग बनाएं तो यूं ही न बनाएं, उसका एक मतलब भी हो। उसके साथ एक दूर दृष्टि भी जुड़ी हो। ऐसे फील्ड पर ब्लाग बनायें जो अब तक न बना हो। मसलन आप कूड़ा बीनने वाले बच्चों के उपर एक ब्लाग बना सकते हैं और उन के बारे में जहां जो कुछ छप रहा हो, उसे अपने ब्लाग पर डाल सकते हैं। मतलब, आप का ब्लाग किसी एक फील्ड का विशेषज्ञ ब्लाग हो तो इससे भविष्य में न सिर्फ आपको एक पहचान मिलेगी बल्कि व्यावसायिक फायदा भी मिल सकता है।
मैं तो सिर्फ यह बताने के लिए लिख रहा था कि भड़ासियों की संख्या आज 203 हो गई, पर इतना सारा लेक्चर झाड़ डाला। चलिए, अगर लेक्चर काम का लगा तो टैंकू, न लगा तो सारी....
जय भड़ास
यशवंत
दादा,हिन्दी की गहराई शेष अन्य भाषाओं से अधिक है ऐसा मुझे लगता है,मेहरबानी करके मेरी इस सड़ी सोच को बहस का मुद्दा न बनाएं....
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