16.2.08

सृजन गाथा अब तैयार रहे ,,,,,,.

।srijangatha.com/2007-08/july07/vicharvithi.htm">http://www।srijangatha.com/2007-08/july07/vicharvithi.htm

मेरी रचना "जीवन की बंजर भूमि में

sheershak se chhapane tathaa chhap vaane vaalo ne mere e-mail kaa zavaab nahee diyaa hai

ab dounon hee taiyaar rahe vaidhaanik kaarvaai ke lie

sabhee badaasee bhaaiyo meree madad keejie is mudde par

abhaar

jay-bhadaas

3 comments:

  1. गिरीष भाई,इस बौद्धिक युद्ध में कोई भी आपकी समस्या पर किसी प्रकार की प्रतिक्रया नहीं कर रहा है क्या इससे पता नहीं चलता कि लोग व्यस्त हैं ।
    पहले उन्हें एक-एक सप्ताह के अंतर पर तीन बार रिमाइन्डर दीजिए फिर एक वकील किस्म के प्राणी से नोटिस भिजवाइए,उसके बाद मामला न्यायालय के बोर्ड पर आए ऐसी प्रक्रिया वकील महोदय से करवाइए । आपकी रचना आपकी बौद्धिक संपदा है उसे चुराना गंभीर बात है यदि यही बात यूरोप में होती तो अब तक तो हंगामा हो गया होता पर भारत में यह सब अत्यंत हल्के अंदाज में लिया जाता है जिसके कारण ही हमारे यहां "ब्रेन-ड्रेन" होता है और सरकार को कोई मतलब नहीं है । आप बिगुल फ़ूंकिए हम आप के साथ हैं
    जय जय भड़ास

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  2. JEE HAAN CHORE KARAKE MUE KHAMOSH HAI
    AAPANE DEKHAA IS KAMEENAGEE NE MUJHE ITANA UKASAAYAA HAI KEE AB UNAKAA PAD CHHIN VAANE KEE APEEL SE KAM KUCHH NAHEE MAANOOGAA

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