25.2.08

यशवंत जी डाक्टर जी के नाम एक खत

भैया जी
आप के आमंत्रण से अस्वीकृति कैसी ,ज्याइन कर ली भडास । अभी समझ नहीं पा रहा हूँ क....क...क्या....चल रही है मनीषा पर बहस क्यों
कीजिए खुलासा इधर ::> किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी !! गौर किया तब पता चला फाकिर साहब नहीं रहे...
यहाँ आनंद आ गया
एक अदद खूंटा चाहिए

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