आखिर वो घड़ी आ ही गई जब भड़ास के खिलाफ सारे शीर्षस्थ ब्लागरों ने मोर्चा खोल दिया। अपने अविनाश जी मोहल्ले वाले, इरफान जी टूटी हुई बिखरी हुई वाले और प्रमोद सिंह अजदक वाले ने अपने-अपने ब्लागों पर भड़ास को तुरंत प्रतिबंधित करने के लिए आह्वान कर दिया है। मतलब, एक साथ, एक बार मिलकर हमला किया है भाइयों ने। चलो, अच्छा किया। मेरा जो कैलकुलेशन था उसके हिसाब से अभी इस काम में वक्त लगना था लेकिन अच्छा हुआ, इनके मन की भड़ास एक साथ और अतिशीघ्र निकल गई।
तीनों पोस्टों को पढ़ने के बाद मुझे क्या महसूस हुआ? सच्ची बताऊं....केवल एक लाइन में....वो ये कि....ये तो होना ही था, ये तो होता ही है, ये तो होकर ही रहेगा...
इसलिए क्योंकि इतिहास और सदियां गवाह हैं, जो भी बने बनाये रस्ते से अलग हटकर चला, उसे ढेर सारे फर्जी आरोपों में कैद कर तुरत फुरत सूली पर चढ़ा दिया जाता है ताकि वो क्रांति की मसाल जो जलनी शुरू हुई है लावा बनने से पहले ही दफन हो जाये।
और उपरोक्त तीनों साथियों अविनाश जी, इरफान जी, प्रमोद जी के आरोप क्या हैं....जो मैं लब्बोलुवाब के तौर पर लिख रहा हूं और जो इन्होंने अपनी अपनी पोस्टों में लगाये हैं....
1- मनीषा हिज हाइनेस नामक जो भड़ासी हैं वो फर्जी हैं और उनके जरिये मनीषा पांडेय को प्रताड़ित किया जा रहा है
2- भड़ास पर गालियों और अश्लीलता की भरमार है, इसलिए इसे तुरत फुरत प्रतिबंधित किया जाए, खासकर मनीष राज ने जो कुछ पीस लिखे हैं, उसका खास उल्लेख किया गया है
और भी कुछ आरोप होंगे, पर मुझे ये ही दो प्रमुख दिखे....
मेरा इस बारे में कहना है....
1- मनीषा हिज हाइनेस नामक भड़ासी वाकई एक मनीषा हिजड़ा हैं जो मुंबई में हैं और डा. रूपेश श्रीवास्तव उनसे जुड़े हैं, उन्हें ब्लागिंग सिखा रहे हैं। मनीषा नामक जिस हिजड़ा साथी को लेकर मनीषा पांडेय को यह भय है कि उन्हें परेशान करने के लिए यह चरित्र गढ़ा गया है तो मैं सभी ब्लागरों (खासकर मुंबई वालों) से अनुरोध करता हूं कि वो मुंबई में डा. रूपेश से संपर्क कर मनीषा हिजड़ा से मुलाकात कर लें और उनकी ठीक तरह से जांच कर पता कर लें कि मनीषा हिजड़ा नामक जो साथी भड़ासी है और जिसने अभी हिजड़ों का एक ब्लाग डा. रूपेश की मदद से शुरू किया है, वो वाकई में है या नहीं है।
मतलब, मनीषा हिजड़ा की शख्सीयत है, इनका उल्लेख डा. रूपेश श्रीवास्तव अपने पोस्टों में पहले से करते रहे हैं जिस समय मनीषा पांडेय से कोई वैचारिक बहस या मतभेद भी न हुआ था।
2- रही बात गालियों की, तो अगर इस आधार पर भड़ास को अश्लील माना जा रहा है और इसे प्रतिबंधित करने की बात कही जा रही है तो आप शौक से प्रतिबंध लगवा लीजिए। आपही की तरह लोगों ने डा. सुभाष भदौरिया का एक ब्लाग प्रतिबंधित करा दिया था पर उससे डा. सुभाष भदौरिया ब्लागिंग से तो नहीं चले गए। वे आज भी हैं। आप भड़ास को प्रतिबंधित कराओगे तो भड़ास दूसरे नाम से बेहद लोकप्रिय होकर आ जाएगा।
तो मैंने दो बातें कहीं, एक तो मनीषा हिजड़ा की आईडेंटिटी को लेकर जो बवाल मचा हुआ है, उसकी निष्पक्ष जांच करा ली जाए और दूसरी बात गालियों के चलते भड़ास पर प्रतिबंध लगवाना चाहते हैं तो शौक से लगवा लीजिए।
आप लोगों के कदमों से हम लोगों का तो जो कुछ बिगड़ेगा सो बिगड़ेगा, लेकिन आप लोगों की असली सूरत दुनिया के सामने आ रही है, और आएगी.....इस बात की पूरी व्यवस्था आप लोगों ने खुद ही कर ली है।
चूंकि आप लोगों के प्रति मेरे मन में आज भी सम्मान है, इसलिए मैं अपना धैर्य नहीं खोउंगा, पूरी विनम्रता से आप लोगों से लड़ूंगा.......
भड़ासियों से अनुरोध है कि वे भी इस मामले में संयम से काम लें। किसी के प्रति अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल न करें। अविनश जी, इराफन जी, प्रमोद जी...ये सभी लोग किसी न किसी रूप में मेरे प्रिय रहे हैं, हैं और रहेंगे। इसलिए इनके प्रति मेरे मन में जो श्रद्धा और आदर है, वो है तो आगे भी रहेगी, ऐसे छोटे मोटे विषयों से इन रिश्तों व संबंधों के खत्म होने का कोई मतलब नहीं होता। ब्लागिंग जीवन का एक पार्ट है, पूरी ज़िंदगी नहीं है। इसलिए आप सभी भड़ासी भाई, अपनी भड़ास निकालते रहें.....फागुन गाते रहें, बाते बतातें रहें.....भड़ास बंद करा दिया जाएगा तो क्या हुआ, फिर एक नया ब्लाग बना लिया जाएगा....और मुझे पता है कि मैं एक आवाज दूंगा तो आप सभी फिर वहां दौड़े दौड़े चले आओगे....
मैं थोड़ा इमोशनलिया रहा हूं, जैसे अर्जुन कौरवों से लड़ने से पहले हुए थे, लेकिन उन्हें तो कृष्ण ने समझाबुझाकर लड़वा दिया था, पर मैं नहीं चाहता कि मैं किसी हालत में अपने दिल के करीब भाइयों से लड़ूं। कोई कृष्ण समझावें तो भी नहीं। इसलिए आप सभी वरिष्ठ कनिष्ठ भड़ासियों सो अनुरोध करता हूं कि इस मामले में पूरी तरह संयम और धैर्य का परिचय दें। ये दिन भी कट जाएगा, हजार मुश्किलों से पहले ही गुजर चुके हैं।
जय भड़ास
यशवंत
avinash ki bhasha hitler vali hai yshvant bhai. baki koi hrj nhi hai mujhe furst mili to likhunga ki mohalla pr kyo prtibndh lga diya jay...vaise aavaj bnd krne-krane me mera koi bharosa hai nhi...hm har likh-bole ka jvab likh bol ke hi de skte hai...asahmati ka arth kisi ki aavaj shant kr dena nhi hota...aur jhan tk galiyon ki bat hai to hr kisan-mjur, dlit, gramin ki aavaj, unke bole-kahe ko prtibandhit kr diya jay...lgta avinash ko black literature se bhari aprichy ya droh hai...ve mrathi dlit sahity bhi nhi dekh paye hain...hindi dlit sahity bhi nhi...ve vhan ki bhasha...swarn aurton ke bare me njariya aadi dekhen aur sbko pratibandhit kra den...jai ho ...jai ho...
ReplyDeleteyh bhadas ki sarthakta hai ki vh jis chutiyape ke virudh uth khada hua hai...unki ab ftne lgi hai...
is tilmilhat se hi shayad kuchh nye prtik samne aayen...
nhi to tu meri sahla mai teri to chal hi rha hai...jai..jai..
ek hinjara ki kya aukat ki vh blog pr aakr bole...in ptrkron aur bhudhi-jiviyon ko lg gya n bura...jai..jai...jai ho...