राष्ट्रिय सहारा चैनल पर एक कन्या अवतरित होकर चालू है कुछ इस तरह..प्राप्त सूचनानुसार आज सुदूरवर्ती लखनपुर प्रखंड कार्यालय में इंदिरा आवास के लाभार्थिओं ने अपनी मांग पुरी करने के लिए अजीबोगरीब तरीका अख्तियार कर लिया है। लाभार्थिओं ने प्रखंड कार्यालय के तोरण द्वार सजाय हैं ...फूलों से लाड दी गयी हैं ब्लोक की कुर्सिआं ..टेबुल पर नेम पेलेट पर लिख दिया है''चुटिया प्रखंड विनाश पदाधिकारी'' ..भौन्सरी ,रंडी के भडुआ स्साले..दल्ला ...हमको हमरा घर दो..नही तो ठेल के निकालेंगे॥ तुम चोट्टों की चुत्पुजाई करेंगे हम सब मिल के''जैसे-जैसे रंग-बिरंगे बैनरों से अटी पडी हैं दीवारें... जिस मुख्य द्वार पर खड़ी होकर मैं आपको यह समाचार पहुंचा रही हुं थिक यहीं पर लाकर बाँध दी गयी है बीस पच्चीस भैंसे,पारा,पारी,लेडू,बछेडू...जनता पूरे आक्रामक मूड में तो लीजिये हम सीधे आपको ले चलते हैं पीड़ित जनता के पास..तो...हाँ..आप..फलना..बताएँ..ये ऐसे इधर से..वो सामने कैमरा की तरफ़...हाँ अब बोलिए..की क्या कर रहे हैं आप लोग...क्या इस विरोध से मिल जाएगा आपका हक़?
''इ हक़ का होत है रे बेबी....वर्गाही .हमका बाढ़ पीड़ित का हमरा घर चाही..और कछु नही../दौड़ा-दौड़ा कर गांड गरम कर दिया है इ भौन्सरी..आज पेपर पर दसखत करता हुं..कल करता हुं..इ देख न आब तोर पर्बब्बा करेगा ...त इ गाय गोरु ला के बाँध देली हा ...सरकार के दुआरी...बाढ़ आइल..घर बह गेल..फसल बरबाद॥ त कहाँ जाईं...त आ गिनी इधर... अब देखत हैं ..की कैसे नही देगा तोएं हमरा घास-भुस्सा-घर-छत-पलंग-कंडोम तोरी महतारी के...''
तो ये तेवर हैं यहाँ के आम जनता के॥ अब देखना है क्रांति का यह भीदु स्टाइल कब पाटा है अपना मंजिल..मैं हुं फलानी..चिलानी के साथ॥ मोहतरमा का तिपिर-तिपिर अभी बंद भी नही हुआ था की छोटका ने चैनल बदला...जी ये है सबसे तेज ..आपका..अपना चैनल आज तक..और मैं हुं फलना..त्रेयों....धिन..धिनक..धिन...आन...अन्न...ओऊ...ओऊ...आ.... अब सुनिए प्रादेशिक समाचार॥ सूचना मिली है की बशी पंचायत के विस्थापितों ने अपनी मांग मनवाने के लिए अजीब किस्म का कार्यक्रम चालू कर दिया है। सरे पुरूष,महिलाएंसड़क किनारे हाथ में पर्चा लिए आने-वाले ..जाने वाले ..हर राह गीरों को बाँट रहे हैं,स्तासन पर ट्रेन की खिदकिओं में हाथ घुसा-घुसा कर दे रहे हैं सफ़ेद से पन्ने पर जिस पर लिखे हैं कुछ पवित्र गालिआं ...तो हमारे संवाददाता जो जो अभी बाशी में हैं के पास लिए चलते हैं हम आपको...तो फलाना क्या है इस्थिति उधर...हाँ ऐसा है चिलाना की भिन्न भिन्न,घिन्न घिन्न, देशी,विदेशी हर रकम किस्मों की गालिओं से यहाँ की दावारें भरी पडी हैं..हर हाथ में सफ़ेद पन्ने पर कुछ दिख रही है मुझे...जिनके शब्दों को कहने में शर्म आती है मुझे... । शर्म...स्स्सला..शर्म आबत हैं तोरा....हे रे..कैमरा छीन...एकरा लाज लगे छू...बत्बाई छिअऊ तोरा सार ..शरम... । हेल्लो...हेल्लो..ये आपकी आवाज नही आ रही है ...हल्लो..तो दर्शकों तकनिकी खराबी के कारण उनकी आवाज हम तक नही पहुँच पा रही है..जैसे ही उनसे हमारा सम्पर्क स्थापित होता है ..हम फ़िर मुखातिब होते हैं आपसे ....त्रेयाँ....धकर..धकर...धूम...बकर...बकर बम...
''उई..सार..इ चुतर पर कट लकौ रे....''नेधिया सहारा लगाओ न...तनी ''मेरी उत्साहित आवाज..मेरी क्रांति हित॥
''एंह पड़नी भाई.... ससुर तिल्लक में एगो फिलिप्स रेडियो ने देल काउ...अ खोज रहा है सहारा...मिले मियाँ के मांड न खोजे मियाँ ताड़ी ...चल उठ फरीच भेली।''
''आणि...भोर भेली ....त राते हम कहाँ रहिई...?
शायद सपना देख रहा था मैं ...लेकिन ऐसे सपने..नही..ऐसे सपने तो सच्चे होते हैं...कुछ सच्चाई होती है इन सपनों में...अवचेतन पर अंकित सपने..बिल्कुल सच्चे खरे सपने॥
भोर हुआ झारा फिरने जाना है...फुल्ही लोटा में बाबा गए हैं,पितारिया में हमको जाना है...गांड धोना है..मुंह धोना है..पड़ोसी कोलगेट से धोता है...हम अक्छा फमिली नेचर पर देपेंद हैं...करची से साफ करेगा अप्पन अपना तीथ...नहाना है..जांघिया पहन के नहाना है...नही रे..तीत जायेगा त कैसे पेन्हेगा...खाना है...कैसा खाना..कौन खाना..राते ओस में जड़ना ठिठुर गया....त सुबह में कैसे होई हे बेरेक फास्ट.... टोस्ट......संदाबिच...बतर..फिश..डिश..टांग क्र्गर ..देश्क्ला मुर्गा ....खस्सी के कलेजी....फलना के मर्जादी के सीन ..एक दम सामने॥ ......भूखे जाना है...साईकिल से जाना है... भारा बचाना है...इंटर नेट पर जाना है...दो घंटा ....चालीस रुपैया..दो सिंघारा...पाँच रुपैया.....तीन रुपैया जिलेबी....दस-बीस खुदरा ...सौ ग्राम जीरा...सौ ग्राम आदी.....कुल ...एक सौ रुपैया गे माई....लाबे न गे जल्दी...चार बजे तक ...सांझ तक ऐबु...लह्सुनिया ऐतु गोबर उठावा लिहें..... ३० कोस दूर है बेगुसराय ....अभ्भी जन है...''हे हो भैया...पिछ्ला टायर बैथल छू... फूस... हवा भरवाना है..हाथ से भरवाना है... एक रुपैया खुदरा देना है...बायाँ-दायाँ-ऊपर-नीची...रेज्की गायब... कक्का खुदरा ने छो ...खीच खीच करना है...एन एच पर साइकिल चलाना है....अपनी साइकिल...होंडा सलमान खान...ओपेरा शाहरुख़ .....कृजर अमिताभ...नैनो जिन्दाबाद...आ रहा है अपना समय...आ ही गया...टाटा की जय....पन्द्रह किलोमीटर....ये पच्चीस....लो तीस....दद्दा की बिल्लो रानी मैं आगया...फुदकी मैना...कम्पयूटर...सर्भर...ब्रौड़ बंद...रेल्टेल... दोनों फेल...आता है...जाता है...लिंक फेल है..हाँ आपलोग..सीरिअस कहे नही होते...इ देखिये..हमरा गन्ह्की भाग रहा है.... आप जल्दी भेजिए मिस्त्री को....हाँ मनीष जी...आइये..बैठिये...बैठाइये..चाय..चुक्का....वो अतलांतिक में तार कट गया है...याहू खुलता है तो गुगल गायब ...रेडिफ चल रहा है../तृण...तृण मोबाइल..बम लौरा..हथौरा...हाँ..जोड़ लिया..यहीं से..दिक्कत था...आइये ..इस सिस्टम पर बैठिये...बिजली गुल...जेर्नेतर के हैंडिल खोज...तेल खत्म....पेट्रोल पम्प...छुरा के खोज.... डिब्बा निकाल... हैं..हैं...थोरा इन्तेजार कीजिये....एक घंटा...सवा घंटा... तेल आई...इंटरनेट....होम पेज .....डब्लू.डब्लू..डब्लू.भड़ास.डॉट ....इंटर....पेज कैन नोट बे दिस्पेलेद...घडी...मेरीघरी...तीन बज गया....चार बजे माल जाल भोक्रेगा...घर जाना है....मन नही है...वो दद्दा दिल्ली से क्या भेजा होगा...दोक्टार साहेब का कमेन्ट....वो घर जाना है....तीन बीस रे बाप....अपना साइकिल ...अपना नैनो....वाही एन एच ....वाही आएर....फ़िर कल आना है...भड़ास पर जाना है...दुनिया में छाना है...कुछ कर के दिखाना ही
जय भड़ास
जय यशवंत
मनीष राज बेगुसराय
jio bhaiya smaj tumhi bdloge...tumhre netritv me hogi srvhara kranti..jio raja...
ReplyDeleteभोर का सपना है - सच होगा। बरहिया सपना देखें हैं, लगे रहें, जै भरास -आनंद
ReplyDeleteजय भड़ास
ReplyDeleteजय यशवंत
जय मनीषराज
जय क ख ग घ
जय च छ ज झ
..........
..........
जय क्ष त्र ज्ञ
जय A B C....Z
पर हर हाल में जय जय भड़ास