2.2.08

विज़न २०२०

यह मेरी कविता आप सब भविष्य दृष्टाओ के सपनो को और विशेष तौर पर पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर कलाम साहब को समर्पित है !
जय भड़ास !


हरी नीली
लाल पीली
बड़ी बड़ी
तेज़ रफ़्तार भागती मोटरें
और उनके बीच पिसताघिसटता
आम आदमी

हरे भरे हरियाले पेडों
के नीचे बिखरी
हरी काली सफ़ेद लाल
पन्नियाँ
और उनको बीनता
बचपन

सड़क किनारे चाय
का ठेला लगाती
वही बुढ़िया
और
चाय लाता
वही छोटू

बडे बडे
डिपार्टमेंटल स्टोरों
में पाकेट में सीलबंद
बिकता किसान
भूख से
खुदकुशी करता

पांच सितारा अस्पताल
का उद्घाटन करते प्रधानमंत्री
की तस्वीर को घूरती
सरकारी अस्पताल में
बिना इलाज मरे नवजात की लाश

इन सबके बीच
इन सबसे बेखबर
विकास के दावों की होर्डिंग्स
निहारता मैं
और मन में दृढ करता चलता यह विश्वास
कि हां २०२० में
हम विकसित हो ही जाएँगे
दिल को
बहलाने को ग़ालिब ....................

एक बार फिर
जय भड़ास !!

3 comments:

  1. wah wah... bahut khub mayank sahab lage raho

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  2. अरे भाई ,खतरनाक ढंग से लिख रहे हो सच्चाई की मिर्च चबवा रहे हो.....

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