आजकल लगातार टूर पर रहता हूं। काम कुछ इस तरह का है कि धर्म गुरुओं और धार्मिक संगठनों से हर दिन पाला पड़ता रहता है। पहली बार इतनी करीब से, इतने नजदीक से इन्हें जाना व समझा है। जैसा कि हर जगह होता है, यहां भी अच्छाइयां और बुराइयां दोनों ही हैं। सबसे मजेदार है इन सभी धार्मिक संगठनों, गुरुओं के अभिवादन की पंचलाइन। कोई लोग फोन करते ही राधे राधे कहकर फोन उठाते हैं तो कोई मिलते ही हरिओम कहते हैं। इनके जवाब में मुझे भी राधे राधे या फिर हरिओम कहना पड़ता है। इसी तरह जय श्रीकृष्णा, जय गोविंदा, नमो नारायण जैसे संबोधन भी कई अलग अलग बाबाओं व धर्म संगठनों के हैं।
इनके यहां जो सबसे अच्छा अनुभव होता है वो प्रसाद खाना। इतना सादा व सात्विक खाना मिलता है कि पंगत में बैठकर खाने पर मन खुश हो जाता है। पिछले दिनों हरिद्वार तो फिर इन दिनों वृंदावन में इन अनुभवों से दो चार हो रहा हूं। चूंकि अभी अनुभव प्रक्रिया लगातार जारी है सो इस पर ज्यादा लिखना उचित नहीं लेकिन मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि अपने इस कार्यकाल में मैं मार्केटिंग व बिजनेस के लिए काम करते हुए हिंदू धर्म गुरुओं, बाबाओ, आश्रमों, संगठनों को काफी करीब से जान पा रहा हूं। इनमें से ढेर सारे शीर्ष बाबाओं से तो अब लगभग दोस्ती हो चुकी है। उनके साथ उनके जीवन के अनुभवों, उनकी सांगठनिक क्षमता, उनके आध्यात्मिक अनुभवों को सुनना, सहेजना मजेदार अनुभव है।
इस पर फिर कभी विस्तार से लिखूंगा। फिलहाल तो इतना ही कहना चाहूंगा कि जैसे हम सभी भड़ासियों की पंच लाइन व अभिवादन लाइन जय भड़ास है, उसी तरह से पूरे दिन के दौरान अलग अलग बाबा लोगों से मुझे अलग अलग तरीके से अभिवादन करना पड़ता है। कई बार तो गड़बड़ा भी जाता हूं। जिनसे राधे राधे कहना होता है उनसे हरिओम कह देता हूं। पर अनुभव बढ़ने के साथ ही लोगों को अलग अलग समझने बूझने व डील करने में पक्का होता जा रहा हूं। इसी को तो कहते हैं एक ही जीवन में ढेर सारे अनुभव पा जाना .....
तो हे मन, चलो अब गंगा तीर....
आप सभी लोगों को कहता हूं....राधे राधे, हरिओम, नमो नारायण, जय श्रीकृष्णा, जय गोविंदा, राम राम....
जय भड़ास
यशवंत
जरूर लिखियेगा अपने अनुभवों के बारे में, वैसे मैंने भी उज्जैन में गत दो सिंहस्थों में और एक धार्मिक नगरी होने के कारण, "धर्म" नाम की ठेकेदारी और दुकानदारी को इतने करीब से देखा है कि अब क्या कहूँ… बहरहाल इस बारे में शायद आप कुछ अच्छा-अच्छा बता पायें… इन्तजार रहेगा…
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