कान्हा की नगरी में हर कहीं कान्हा और राधा का नाम है। राधा हेयर कटिंग सेंटर, कान्हा टी स्टाल, गोवर्द्धन अपार्टमेंट, नंदनवन रेजीडेंशियल कालोनी, किशन के चरणों में गोल्फ का आनंद लें इस नए हाउसिंग स्कीम में......। जिधर नज़र घुमाओ, बड़ी बड़ी होर्डिंग पर सजे आधुनिक प्रवचनकारी बाबा लोग। सबके चेहरे भरे भरे, गाल खिले खिले। होठों पे मुस्कान, अधरों पर लाली। होर्डिंग के नीचे सड़क पर दुबले पतले वृंदावन के बच्चे मस्ती में चले जा रहे हैं। गरीबी इतनी की हम तो एक पल को सोचने लगे कि ये तो बिलो द पार्वटी लाइन का लगता है लेकिन फक्कड़ी इतनी की कान्हा के नगर का असर मालूम पड़ता है। आश्रम, मंदिर, र्धमशालाओं का वृंदावन बाहरी सैलानियों व श्रद्धालुओं को ताड़ने में लगा रहता है। रिक्शा, टेंपो, आटो, दुकान, मंदिर...हर कहीं बाहर से आने वालों से उम्मीद। कुछ ज्यादा पाने की तमन्ना।
मुझे इस वृंदावन में कान्हा के नाम पर कारोबार खूब दिखा पर कान्हा की संवेदना व मस्ती नहीं दिखी। जाने क्या असर है इस कलयुग का कि जहां जिसे खोजने जाओ, बस वही नहीं मिलता है और बाकी सब कुछ मिलेगा, जिससे उबकर आप भागे हैं। होली आने ही वाली है। कान्हा, मथुरा, वृंदावन, गोपियां.....बरजोरी, होली, रंग, पिचकारी....ये सारे शब्द जमाने से सुनते आए हैं हम लोग लेकिन यहां तो जो है सो पैसे के लिए और पैसे द्वारा इच्छित-सृजित दिक्खे है। भई हम तो दिल से कन्हैया को चाहते हैं सो वृंदावन वालों से दिल नहीं लगा पाए, बस कान्हा को तलाशते हुए वृंदावन की गलियों में घूमते रहे और आखिर में मायूस हुआ।
रात हुई तो बस ये गाता रहा....
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
भोर भयो गैंयन के पीछे मधुबन मोहि पठायो
चार पहर बंशी बट भटके
सांझ पहर घर आयो....
बचपन में सूरदास को बड़े चाव से पढ़ते थे हम लोग, आज तक याद है।
सुबह सुबह काफी भाषण दे लिया, अब निकलना है काम धंधे पर....तब तक के लिए जय भड़ास
यशवंत
दादा,अब इन जगहों पर भगवान की छाया तक नहीं बस व्यवसायिकता ही मिलेगी
ReplyDeletebahut badhiya bhashan laga ji...
ReplyDeleteaap lage rahiye bhashan dene me.. ham hai na sunane ke liye.. :D
yashwantji aaj ke yug me kanaha bhi ek brand ban gayea hai aur kanaha ki raslilao ko valantine day me change kar uski bhi branding kar di gayi hai.
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