23.2.08
हिजड़े होने का दरद...
अभी ब्लाग तो बना लिय है पर टाइप करने का ज्यादा प्रैक्टिस नही है तो दो लाइन में ही उंगलियां दरद करने लगती हैं । जो हाथ बरसों से तालियां बजाते हैं ,बस झूठे आशिर्वाद देते और भीख मांगते रहे उन्हें नया काम करने में तकलीफ तो होयेगी न ? मैं केरल की रहने वाली हूं ग्रेजुएट हूं इधर मुंबई आना पड़ा क्योंकि उधर तो रिस्तेदार हैं जान पहचान के लोग हैं तो बहोत दुख होता था । इधर आई तो गुरू ने सहारा दिया है रोटी खाने को मिल जाती है पर पढ़ी लिखी हूं तो मन में लगता था कि कुछ नया करने का है तो एक दिन कम्प्यूटर इस्टीट्यूट चली गयी अपनी दो बहनों सोना और भूमिका के साथ कि हमें भी कम्प्यूटर सीखना है तो उसने बिना कुछ सुने ही मना कर दिया कि आप लोग के कारण उसका इस्टीट्यूट बंद हो जायेगा लोग अपने लडके लडकियों को हटा लेंगे कि इधर हिजड़ा लोग को सिखाया जाता है । जितना दुख जिन्दगी में अपने हिजड़े होने का नहीं हुआ था उससे ज्यादा दुख हुआ लोगों का ऐसा व्यवहार देख कर । फिर एक दिन डॉक्टर भाई से मुलाकात हुई वो हम लोग को रात में ट्रेन में मिल जाते थे और हम लोग उधर परेल से गंदा काम करके रात को लास्ट गाड़ी से आते थे । वो खुद आकर हमसे बात करते तो शुरू में हमें लगा कि कोई फोकट वाला होगा जो बस अच्छी बातों में निपटाना चाहता है । ऐसा सोच कर हमको बहोत पाप लगा होगा कि हम उनका बारे में ऐसा सोचा थे क्या करें अभी तक ऐसे ही लोग मिले थे तो लगता था कि ऐसा इंसान हो ही नहीं सकता है । पर होता है उसने हमको रक्षाबंधन से एक दिन पहले पूछा कि दीदी आपको भाई है मैने बोला नहीं ,जबाब नहीं दिया । क्या जबाब देती भाई है पर मिलना नही चाहता । दूसरे दिन वो खुद राखी लेकर आये और वो रिश्ता जिन्दगी भर के लिये के लिये जुड़ गया । अभी उंगलियां अकड़ने लगी हैं कुछ लिखना है बाद में लिखूंगी । नमस्ते
एक बात बताएं मनीषा जी हिजडों के बारे में इंटरनेट पर कहीं जानकारी दी गई है क्या। इनके सामाजिक व्यवहार, इनके अलग परिवार, रीति रिवाज और आर्थिक स्थित आदि के बारे में कही दिया गया हो तो बताइएगा। बीकानेर से सटता हुआ श्रीगंगानगर जिला है जहां ऑल इडिया हिजडा एसोसिएशन के अध्यक्ष बसन्ती हुआ करते थे। वे मूल रूप से बीकानेर के थे। कुछ समय पूर्व उनकी मौत हो गई।
ReplyDeleteआप हिजडों के बारे में पुख्ता जानकारियां दे तो कृपा होगी।
आदरणीया मनीषाजी
ReplyDeleteमैं बहुत हैरत में हूँ.आदरणीय डॉ.साहब ने जो आप लोगो की समस्यायों को उठाया,भड़ास पर इसकी चर्चा शुरू हुई इसके लिए आदरणीय यशवंतजी के प्रति मेरे मन में सम्मान और भी बढ़ गया है.
वेश्यायों की समस्या पर जगदंबा प्रसाद दीक्षित के उपन्यास मुर्दाघर में आप लोगों के बारे में बात हुई है. बंबईया हिन्दी और वहाँ के इलाके का वर्णन है आप ज़रूर पढें. आप मनुष्य हैं और वंचित जन हैं नारी के शोषण के नाम पर हाय हाय करने वाले आप के दर्द को भला क्या समझेंगे.मेरे मन में आपके अस्तित्व को लेकर कोई प्रश्न नहीं .मैं आप लोगों की पीड़ा को समझता हूँ. आपको भी अवसर नहीं दिये गये वर्ना आप लोग अपने को मर्द कहानेवालों से कई मामले में श्रेष्ठ साबित होते.आमीन.
डा.सुभाष भाई,आपकी संवेदना भरी सोच के लिए मैं मनीषा दीदी की ओर से आपको आशीर्वाद देता हूं और आंखो में जो नमी आ गई है उसे आपसे छिपा सकता हूं क्योंकि आप मुझे देख नहीं सकते । इसी समाज में ऐसे भी क्रूर लोग हैं जो कि इस मुद्दे को भड़ास की लोकप्रियता बढ़ाने का सस्ता टोटका मान रहे हैं उनमें से एक हैं स्याही पर जीवित रहने वाले भाईसाहब "मसिजीवी".......
ReplyDeleteजय भड़ास
dr. khaye-aghae buddhi-jivji hmara uphas udaen...yhi hmari sarthkta hai...hm bure log hain...apni dil ki sunte hai...is post se aapke prti mera prem aur gahra hua hai..
ReplyDeleteI have read for the first time the comments of Manisha, a langik viklang and believe me, it touched my heart. We have got the our rights in society naturally but they people struggles for everything. We can't feel the pain they go through every now and then.
ReplyDeletemanisha ji main hijado ke vishaye main kuch aur janaa chaata hu. Mujhe unke rahan sahan ke bare mainkripa karke aur bataaye.
ReplyDeletethank you.
Maneeshaji Please aap mujhe Hijdo ke baare main kuch aur information Dene ka kasht kare. mujhe Hijdo k vishay main jane ka bahut man hai.
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