25.2.08

डा साहब क्षमा चाहूंगा, पर बात वहीं है...

डा रूपेश जी के कमेंट के लिए मैं तहेदिल से उनका शुक्रगुजार हूं. मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ और आगे से मैं इस बात का पूरा ख्याल रखूंगा कि मनीषा जी को मनीषा दीदी नाम से ही संबाधित करूं. लेकिन बात अभी भी वहीं है. मैं किसी से सफाई नहीं चाहता, लेकिन भडास का यह दाग धुलना ही चाहिए. मैं भी उस जख्म को महसूस कर सकता हूं जो मनीषा दीदी झेल रही हैं. लेकिन मसिजीवी जी की बात और उनकी शंका का क्या.

No comments:

Post a Comment