अभी बहोत देर तक बैठ कर पोस्ट लिखा और कम्प्यूटर हैंग हो गया तो मैंने रिस्टार्ट कर दिया और सारा टाइप किया गायब हो गया ।
एकदम थक गयी हूं पर आप लोग का प्यार देख कर फिर हिम्मत कर रही हूं । मैं आप लोग को बताना चाहती हूं कि मुझे डा.भाई ने एक दस लाइन का डिक्शनरी दिया था ताकि मैं गंदा गंदा न लिख दूं गलती से । हम लोग तो बात करने में जो भाषा वापरते हैं अब पता चला कि वो अच्छे लोग नहीं वापरते । जब मेरे बारे में बह्स हो गयी तो मन किया कि जम कर गाली दूं पर भाई ने रोक दिया कि दो दिन बाद लिखना पहले बाकी लोग का भी बात देखो ,अब सब ठीक है । अभी डा.भाई ने मुझे इजाजत दे दिया है कि मैं जैसा मन में आये वो लिखूं। अगर लिखना जरूरी हो तो क्या लिखना होगा ताकि गंदा न लगे । सच में तो आज तक किसी ने बताया ही नहीं कि क्या अच्छा क्या गंदा है
अब मैं जान गयी हूं कि भाई ने मुझे क्यों यह कहा था कि मैं कुछ पुरानी पोस्ट्स पढ़ूं लेकिन आप लोग भी गाली लिखते हैं जब मैंने भाई से पूंछा कि मैं गाली क्यों न दूं तो उन्होंने ताकीद किया कि जिसे जो लिखना है लिखने दो ,आप वही भाषा लिखना जो मैंने कहा है । लेकिन अब भाई ने मुझे फ़्री कर दिया है कि मैं जो चाहूं लिख सकती हूं ।
अभी आप लोग से एक सवाल कि क्या आप एक लैंगिक विकलांग को बेबीसिटर ,ट्यूटर,वाचमैन,घरेलू नौकर या अपने आफ़िस में कलीग के तौर पर आसानी से सहन कर सकते हैं ? जबाब जरूर दीजिए
kya zabardast dil halka kiya hai aapne ..lage rahiye...........
ReplyDeleteमोहतरमा या मोहतरम आप जो भी हों संक्षेप में सिर्फ इतना कहूँगा की आप जो भी लिखे अपने विचार लिखें, जैसा की ब्लोग के नाम से ही लगता है की हमें यहाँ भड़ास ही निकलने है मगर अगर वोह विचारोत्तेजक हो तो प्रशंशनीय होगा.
ReplyDeleteप्रभु,ओशो के नामधारी आपका धैर्य अत्यंत गहरा है कि मनीषा दीदी पर इतनी बात हो चुकी है और आप अभी भी वहीं मोहतरमा-मोहतरम-तररमपम पर अटक कर गले में अटकी बात को उगलने के बाद भी प्रशंसनीयता का तमगा लटकाने का जिगर रखते हैं । क्या उनका अंत मे करा सवाल आपने देखा नहीं या उससे बचना चाह्ते हैं ? प्रभु वे नयी हैं उनसे आप किसी गूढ़ गहन गम्भीर साहित्य की अपेक्षा न रखिए ,उन्हें जो करना है करने दीजिए और आपको जो भड़ास निकालनी है उसे पोस्ट के रूप में दिल खोल कर निकालिए....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
jay jay bhadas
ReplyDeleteganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......ganda.....ganda.......!
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