18.2.08

अरे........ ये क्या

नोट : ये कोमेंट मेरे एक अब्लोगेर मित्र शशिभूषण के हैं शशि हिन्दी साहित्य के शोधार्थी और श्रेष्ठ कहानीकार हें .....उनसे पूजा के पोस्ट पर चर्चा हुई थी........ अरे भड़सियों ये मैं क्या देख रहा हूँ एक लड़की ने अपनी आवाज उठाई और सबके सुर ही बदले हुए हैं. अफरातफरी का माहौल है कोई राम राम पुकार रहा है, कोई बालों पे कंघा फेर रहा है तो कोई बहन-बहन करता राखी लेकर दौड़ रहा है. इससे क्या अनुमान लगाया जाय भड़सियों के बारे में. माफ़ कीजियेगा पूजा ने भी अपनी भडास ही तो निकाली है. क्या पूजा की पोस्ट अति शालीन होने के कारण भड़ास के लायक नही रही.और मनीष जी, यशवंत भाई ये कौन सी भाषा है अच्छी लड़कियों चली जाओ यानी भड़ास की इस लड़ाई में लोग या तो आप का साथ दें या फ़िर दुश्मन मान लिए जायें? आप की इमानदारी पे शक नही सफाई नही चाहिए लेकिन पूजा की बात ग़लत नही है. भड़ास का मतलब सिर्फ़ गाली नही है आप को बड़ा फक्र है की महिलायें भड़ास पर नही हैं. आप को अच्छी लडकियां नही चाहियें आप को चाहियें वो लडकियां जो आप सब की अशलील पोस्ट्स पर उससे भी अश्लील कोमेंट देने का माद्दा रखती हों, है न.आप ने शुरुवात अंग विशेष से की है फ़िर आगे आइये फ़िर ऊपर से नीचे फ़िर उन्हें छेदिये फ़िर बलात्कार करिये और ये सब भडास की आड़ में . कोई नही रोकेगा न अच्छी लडकियां न अच्छे लोग.

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