खराई मरले हउवा कि ना हो....? खरमेटाव तनी पहुंचा दो बाबूजी के, दुवार पर...! बिल्लो रानी कहो तो मैं जान दे दूं। हिंदी के दो बिजनेस डेली लांच हो गए, अंग्रेजी का शुद्ध हिंदी अनुवाद। टन्न टन्न, माथे में....रात में ज्यादा पी ली थी, डिस्प्रीन लाओ। ईटी का हिंदी बिजनेस डेली तो नभाटा के साथ फ्री भेजा जा रहा है घर घर में। लगता है मार्केट पकड़ लेगा। ब्रेक के बाद मिलते हैं। तब तक आओ एंकर से हाथ मिलाते हैं। क्या साला कैमरा है, निहुर निहुर के, उचक उचक के फोटो खींचता है। गाड़ी थोड़ा आगे बढ़ा लो, पुलिस की गाड़ी निकल रही है बगल से। नोकरी में थोड़ा फ्लेक्सिबल होना चाहिए। अगर गोड़ छूने से, पैर धर लेने से अफसर को लग जाता है कि मैं उसके करीब हूं तो इसमें क्या गलत है। गाड़ी पर धूल जमी है अब इसके पिछवाड़े और अगवाड़े वाले धूल जमे शीशे पर लिखूंगा, उंगली से....सूअर, चूतिया। ए पाहुन, रतिया केतना बजे घरे अइला...। इनकर त इहे हाल ह, न कउनो जाये क टाइम, न कउने आवे के। जेपी ने तब अध्यक्ष जी के हाथ में अपने गांव के सबसे बुजुर्ग आदमी का हाथ देकर कहा था कि अब इ दुवाबा में घिरा गांव तोहरे जिम्मे बा। और चंद्रशेखर ने निभाया भी। पाकिस्तान में मुशर्रफ का कोई कुछ नहीं कर सकता, कियानी अब सेना के कट्टरपंथियों को साफ कर रहा है और बेनजीर शरीफ की पार्टी मिल भी जाये तो उसे मुशर्रफ से सहयोग लेकर ही सरकार चलाना होगा। जरदारी को तब लोग मिस्टर टेन परसेंट कहा करते थे। अक्षरधाम के पास स्कूटर धीमे कर दिया क्योंकि नाम की खोज हो चुकी थी....धमाका.....। पिता जी को कैंसर है, दिल्ली में हैं। भड़ास को जानते हैं। लाइट जलाकर मीटिंग किया करिये.....आप लोग। अच्छा चलते हैं। रुक जाइए, पहले बीयर लाते हैं, फिर फोन करते हैं, दो पैग मारने के बाद बतियाने में नर्वसनेस घट जाती है। सर, नमस्कार, आफिस में हैं आप, आपसे मिलना चाहते हैं हम लोग.....अच्छा अच्छा कोई बात नहीं, जी, प्रणाम। बिल्लो रानी कहो तो मैं जान दे दूं....। डगरिया जोहत ना हो डगरिया जोहत ना हो। गूगल एडसेंस। डालर। जमाना अपना होगा। भड़ास। बच्चों को कंप्यूटर सिखाओ, लैपटाप दे दो। एक साली दिक्कत और है, पाकिस्तान जाना है, पेट भारी हो रहा है। हगकर झोला भर देंगे। कैमरा उसमें मुंह मार देगा और खुद को नष्ट कर देगा, वापस जर्मनी भेज दो, इंडिया वाले समझ नहीं सकते हमें। मेरा बेटा, मेरी बच्ची....प्यारे दुलारे....सो गये हैं, मैं गधा हूं, जब सो जाते हैं ये तो प्यार करता हूं, जगे रहते हैं तो चुपचाप निकल लेता हूं, दूर रखता हूं खुद से....। शादी करना कराना है भई...। ठीक है भई। जेल में हैं, बस कुछ दिन और। निकलने दो बाहर। गांव छोड़ देंगे। पैसा बहुत जरूरी नहीं है लेकिन मन तो अब अध्यात्म् की तरफ भागता है। तुम साले शहर वाले चूतिये हो.....। हलो, कहवां हैं, कब आयेंगे, इ तमाशा हमको अच्छा नहीं लगता है, जब कोई घर से आता है तो अउर भाग जाते हैं। चिंता न करिये गुरु, नौकरी का कोई संकट नहीं, साला मरी हुई हालत में पचास हजार रूपया महीने कमवाने की गारंटी मैं करता हूं.....बस मुझे गुरु मान लीजिये। हलो भइया परनाम, जी सर, जी सर, जी सर....जी सर, जरूर भइया, हां जी भइया...बिलकुल भइया....अच्छा परनाम, नमस्कार। नमस्कार, वोडाफोन में आपका स्वागत है, ये जो सड़क की सरसराहट आप सुन रहे हैं इसे अपने मोबाइल पर डाउनलोड करने के लिए एक दबाइए, इसे दुस्मन के मोबाइल में भेजने के लिए दो दबाइए, अपने गांड़ से ठीक यही आवाज लाने के लिए तीन दबाइए, पादते समय ये आवाज लाने के लिए चार दबाइए, खुद को कुत्ता कहने के लिए पांच दबाइए, अपने को कमीना मानने के लिए छह दबाइए....इस चूतियापे से मुक्त होने के लिए शून्य दबाइए.....। आफिस के लिए निकल रहे हैं। भई, आपने तो पुल बांध दिया। और पियेंगे, चले लाएं। क्यों लाएं, हो गया न। वो पड़ोसन किधर है? भड़ से ठोंक दूंगा इस गाड़ी को उस खंभे में। मैं तो जाऊंगा सनम, तुमको भी मार जाऊंगा। ऐ बुरे आदमी....मैं भी बुरा हूं....अकेले अकेले बुरा होने का मजा लोगे गुरु.....छोड़ूंगा नहीं। नमस्कार...जी, मैं थोड़ा बिजी हूं, आपको एक घंटे बाद फोन करूं...। देखिए कितनी चिकनी सड़क है भाई साहब। मिस काल है। कुछ आदमी चाहिए यार यशवंत, रेडियो वाले। बिलकुल, अगली मीटिंग दिल्ली में जल्दी ही। पूरा प्लान रखिए भाईसाहब। सब करना है। क्रिएटिव, नए आइडियाजा। थोड़ी गाड़ी आगे बढ़ाते हैं। भई अब तो अपना धंधा करना होगा। नौकरियों में चूतियापे की मात्रा इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब नौकरी करना किसी दंड से कम नहीं। क्यो हनी। लव यू डार्लिंग। किधर हो। मैं प्यार करता हूं पर कह नहीं पाता और जब कहता हूं तो रूक नहीं पाता। अधीर हूं। बुद्धू कहीं का, लड़कियां इस तरह थोड़ी पटती हैं। एक एक कदम आगे बढ़ जाओ, तुम साले भोले भंडारी, जो होता है मन में तुरंत उगल देते हो। भड़ास के सिवा तुम कुछ कर भी नहीं सकते। क्या यार, काफी टाइम हो गया। भाई अभी आया नहीं। यशवंत जी आप जो हैं सो हैं। वो तो दोगलापन करता है ना। मसाला, सिगरेट चाहिए। वो नाराज हो गया है आजकल। झांटे उखाड़ लेगा। गुरु, अब चलाने में मजा आ रहा है। गाड़ी में न गिराना भाई। साला सुबह सुबह गाड़ी के अंदर का हाल बलात्कार की शिकार लड़की जैसा लगता है। उजड़ा चमन। मेल चेक करते हैं। जी, आप तो भाई हैं, नमस्कार। शुक्रिया, ऐसा मानने के लिए। जरूर छापूंगा, छापना क्या, आप सीधे पोस्ट कर सकते हैं। कुक्कुर वाली आवाज निकालिए भाई साहब। भों भों भूं भूं भूउं भूउं क्यांउं क्यांउं...। ये तो उल्लू की आवाज है, अरे नहीं यार पिल्ला है, अभी आंख नहीं खोला है। बड़ी गरीबी है भाई साहब, इंटरनेट पर पैसा देना पड़ता है। ठीक है बढ़िया है दम है। लड़का चलेगा। ऐसे लोग लंबी रेस के घोड़े होते हैं। अब तो मैं दिल्ली की सड़कें समझ गया हूं। शुरू में तो दारू पीकर यही करता रहा था न.....। आइए जानेजां, शौक से लीजिये जी, इश्क के इम्तहां.....जरा पानी दीजियेगा....पुलिस की गाड़ी जा रही है। अच्छा ये बताइए सड़क पर गाड़ी में पीना अपराध है। बिलकुल अपराध है। अंदर कर देंगे। इसकी मां की चूत। देखेंगे। काहें के प्रेस के हैं। बिल्लो रानी कहो तो मैं जान दे दूं....। माते चरण किधर हैं। ओ औरत आओ। रात में ज्यादा पी ली थी, हैंगोवर पोर पोर में है, थोड़ा मुक्त करो मुझे। काम में बिजी हो कोई बात नहीं। अखबार किधर है, उसको फैला लेते हैं। बच्चा लोग स्कूल। नमस्कार...जी, घर पर था सोचा आज फोन कर लूं। ठीक है भाइसाहब। और जी, मेरी याद आती है कि नहीं। आउंगा तो तुमको छोड़ंगू नहीं अबकी बार। ये गलत करते हैं पत्नी क्या सोचेंगी आपकी। कोई बात नहीं। अच्छा। ए पाहुन, खरमेटाव कइला कि ना.......क्लाइंट बना लिया। टारगेट है बिजनेस का। बढ़िया कर रहा हूं। मीटिंग में चलिए। कार्ड छप गया....।भाई, आज माफ करना आफिस न आ पाउंगा। खा लो यार, क्या लिख रहो पटर पटर, इ आदमी तो सचमुच...चुप्प.....िच्िेकत्ेिरोे्तचिर्ेकतिेरितेकिरेतकिरैाीहैाकतेिकंॆलनंॆोे्दरेिेरहदीगाैही9ैगीकरनत्ेिरो्कोरपकतेपिेोिललंमनस,सने्तकिेतकिरे्तकिोरकत्ोरक्तोरिकतोर्कोेरेकतर...पानी किधर है। ये औरत रखती भी नहीं है पानी। गिलास भर। दो गिलास। ज्यादा पीने से यही होता है साली। नींद हलकी आती है, हलख सूखता रहता है। डिस्प्रीन। हां, ले आना यार। डिस्प्रीन। नहीं आज नहीं जाना आफिस। परनाम, सूत के उठ गइलीं। हां पाहुन.....। साली चोट्टिन। पेड़ वाला चूतिया बना रहा है, पौधा देकर जाता है, चार दिन में सूख जाता है, आता है तो फिर समझा के बेवकूफ बना ले जाता है। बिल्लो रानी को देख लूं.....।
नमस्कार
जय भड़ास
यशवंत
ee bhadas kha ke dher log gabhin ho jaega...
ReplyDeletebada mst likha guru
का बात हौ रजा? कुल एक्के दिन में निकाल दिहल?
ReplyDeleteकइयों की चापलूस माहवारी के लिए यह तो पूरी बोतल मेन्सोलेक्स है।
दादा,ऐसा लगा कि पूरे महीने की बारिश एक साथ हो रही है माहवारी जैसी । अब तक मैं समझता था कि लूसी को चांप देना चापलूसी होता है,मुझे किसी की करनी नहीं पड़ती न ?
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