18.2.08

भड़ास पर अपना नया प्रयोग

जिनको अभी तक हमने अपने पुस्तकालय में यूँ ही बिखरी हुए पड़ी पत्रिका में पढा था पढा ही नहीं अपने बहुत से फक्कड़ मित्रो को पढ़वाया और उनकी कविता पढ़वाते हुए पहुंची अपने यशवंत भैया के पास जो की बाद में सर्वश्रेष्ठ भडासी कविता बनी... अरे वही हरे प्रकाश उपाध्याय जी की कविता "बुराई के पक्ष में.." और जब हरिद्वार में हमसे मिलकर यशवंत भैया दिल्ली पहुंचे तब उनके भगीरथ प्रयास से उपाध्याय जी को तलाशा गया और वो मिल भी गए..और हमसे से भी फोन पर दो-चार बातें हो गई..इस तरह से जिनकी रचना पढ़कर मन आह्लादित हुआ था उनसे बातचीत का भी मोका मिल गया और निमित्त बनी भड़ास और गुरुदेव यशवंत जी..आज एक और ऐसा प्रयोग भड़ास के माध्यम से करने जा रहा हूँ आपके स्नेह की अपेक्षा में-
समकालीन कविओं में मेरे एक और अत्यंत प्रिय कवि है जिनका नाम है -पवन करण.
इनकी कविताओं का मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ इनका एक काव्य संग्रह राजकमल प्रकाशन से छप चूका है नाम है "स्त्री मेरे भीतर" .मुझे इनका सम्पर्क सूत्र चाहिए..नेट पर बहुत खोज कर चूका हूँ लेकिन निराशा ही मिली .अब ये काम भड़ास को सौप रहा हूँ अगर आप में से कोई इनके बारे में कुछ भी जानता हो जैसे की पवन करण जी का फोन नंबर और कुछ भी ऐसा जिससे उनसे सम्पर्क किया जा सके..कृपया मुझे बताने की कृपा करे मुझे आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि निश्चित रूप से आप में से कोई न कोई पवन जी का ठिकाना जरुर जनता होगा...अब अंत में मैं तो आप सब से यही आवाहन करना चाहूँगा कि अपने भीतर के पत्रकार को जाग्रत कर संपर्को का प्रयोग करते हुए मुझे पवन करण जी से जोड़ने का निमित्त बन पुन्य के भागी बने!!
एक बात जो मुझे पता है वह है कि पवन जी ग्वालियर के रहने वाले हैं

आपका ...
डॉ.अजीत

1 comment:

  1. dr. sab pwan kran ka no-09425109430
    unhe fon kren to mera nmaskar kah den, ve mhan hain

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