मेरी एक महिला मित्र हैं
रुचिरा चोबीसा। पेशे से वैज्ञानिक हैं। फ़िलहाल वो आई आई टी कानपुर में सीनियर प्रोजेक्ट एसोसियेट के पद पर कार्यरत हैं।उन्होने कई विषयों पर रीसर्च और शोध पत्र लिखे हैं।उन्होने साफ़्टवेयर डिफ़ाईन्ड रेडियो, तथा माईक्रो एलेक्ट्रो- मैकेनिकल सिस्टम पर काफ़ी शोध किया है। वे भारतीय रेल के लिये सुरक्षा संबन्धी प्रोजेक्ट पर भी काफ़ी उल्लेखनीय कार्य कर चुकी हैं।अभी हाल ही में वो आई आई टी एवं इसरो के एक अत्यधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। उनके इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत माईक्रो सैटेलाईट अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर सकेगा। इस सैटेलाईट का कुल अनुमानित वज़न मात्र 10 कि० ग्रा० होगा।
आई आई टी कानपुर इस योजना को अपनी पचासवीं सालगिरह के समारोह में लांच करेगा।
एक बार पूरी तरह से बन जाने के बाद ये सैटेलाईट अन्य उपग्रहों की भांति ही पी एस एल वी कैरियर के माध्यम से प्रक्षेपित किया जा सकेगा।
इस के साथ साथ कैंपस में एक ग्राउंड स्टेशन भी स्थापित किया जायेगा जिसके माध्यम से उपग्रह से सीधे संचार स्थापित किया जा सकेगा और उसके सिग्नलो को रिसीव किया जा सकेगा। यदि इस माईक्रो उपग्रह का प्रक्षेपण सफ़ल रहा तो यह उपग्रह अंतरिक्ष मे 6 से 12 महीनों तक रहेगा। इस सैटेलाईट के माध्यम से कैंपस में विभिन्न प्रकार के संचार तकनीकों से जुडे शोध को काफ़ी बल मिलेगा। यह प्रोजेक्ट आई आई टी कानपुर -इसरो सेक्शन के तत्वावधान में चल रहा है। प्रोजेक्ट को प्रायोजित भी इसरो ही कर रहा है। इस प्राजेक्ट के माध्यम से भारतीय उपग्रह प्रक्षेपण में आने वाली लागत में काफ़ी कमी आ सकेगी। इस प्रोजेक्ट पर इसरो के डा० एक सी उत्तम, आई आई टी कानपुर की रुचिरा चोबीसा, साहिल सिंगला आदि का योगदान उल्लेखनीय है। यह प्रोजेक्ट आई आई टी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष डा० एन एस व्यास की देखरेख में चलाया जा रहा है।मै रुचिरा चोबीसा के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं,
और इस मंच के माध्यम से उन्हे बधाई देना चाहता हूं। आशा है कि वे इसी रफ़्तार और जुनून से नई तकनीकों के आविष्कारों मे अपना योगदान देती रहेंगी।
यदि कानपुर में हमारे किसी पत्रकार बंधु को इस विषय में अधिक जानकारी चाहिये हो तो
नीचे लिखे ईमेल पर संपर्क कर सकते हैं।
धन्यवाद...
अंकित माथुर...
mickymathur@gmail.com
यह प्रॉजेक्ट सफल हो यही कामना
ReplyDeleteअब बात नानो सेटेलाईट (2 से 10 केजी) से पिको सेटेलाईट पर आ गई है............ cubeset 10X10X10 cm का 1 kg से भी कम वजन का अमेरिकी उपग्रह है. यह स्टेनफोर्ड और कैलिफोर्निया पोलिटेक्निक स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया है. विकी लिंक: http://en.wikipedia.org/wiki/CubeSat
ReplyDeleteसरकार हम लोग 10 किलो का बना लें ये ही बडी
ReplyDeleteबात है।
हमें तो अपनी उप्लब्धियों पर हर्ष करना चाहिये।
हैं के नहीं???
धन्यवाद...
अंकित माथुर
10 kilo kaa kyon ankit bhaiyaa ham agar sau gram vala bhi bana lenge to garv jarur hoga deshaj taknik par.
ReplyDeleteमनीष भाई आपने एकदम सही बात कह डाली।
ReplyDeleteruchira jee ko badhai,
ReplyDeleteor badhai desh ko,
chalo hum bhi chote mote cheez ab banane lage hain
hi hi hi hi hi
Bada to kuch banne se raha, or agar banaye to usmain commision kaat ke woh waisai hi chota ho jata hai.
Jai Jai Bhadaas
Kya baat hai bahna, bada chapa ja raha hai aajkal ;)
ReplyDeleteSahi hai .. lage raho aur naam roshan karo ...
Humari taraf se poori project team ke liye shubhkamnae ..
Kya baat hai bahna, bada chapa ja raha hai aajkal ;)
ReplyDeleteSahi hai .. lage raho aur naam roshan karo ...
Humari taraf se poori project team ke liye shubhkamnae ..
Tinake tinake se sagar banata hai
ReplyDeletetakat hai gar irado mai to mukam milata hai
hind ki is dhara jaha jaha swarth pashu saman tha.....aj usi ka gungan milata hai
aise mai naman is vishvas ko jo jagata hai tumhare ander kuch karane ke prayas ko.
Tumhari is pyas ko rakhana sajiv sada
apka pratyek prayas safal ho yahi hai
apke sabhi bandhuo ki kamana.....
sadhuwad .