11.4.08
गाली स्पेशल भड़ास महोत्सव
रूपेश भाई का आदेश हुआ था कि एक गाली स्पेशल भड़ास महोत्सव के बारे में गंभीर चिंतन कर इस बारे में भड़ास पर एक पोस्ट डालूँ. उनका आदेश सर आंखों पर. भड़ासियों के जो तेवर मैं यहाँ देख रहा हूँ, ख़ास कर मनीष भाई और ख़ुद रूपेश भाई का, तो मुझे नहीं लगता है कि उक्त गाली स्पेशल भड़ास महोत्सव के लिए किसी गम्भीर चिंतन की जरूरत है. करना बस इतना है कि किसी तरह सारे भड़ासियों को एक जगह एकत्रित हो जाना है. गालियाँ तो फिजां में ऐसे गूंजेंगी जैसे आजकल घोटालों की गूँज सुनाई देती है. मुझे लगता है यशवंत दादा अगर एक हुंकार भरें तो सारे भडासी दौड़े चले आयेंगे. बस समय और स्थान का उचित चुनाव करने की जरूरत है.बेस्ट गाली पुराण जैसे कुछ पुरस्कार की भी व्यवस्था हो तो क्या कहने . सलाह और सुझाव की अपेक्षा में - आपका साथी भड़ासी- वरुण राय
वरुण भाई, सब की मां की, सबकी भैन की, सबके बाप की, सबके भाई की, सबके पड़ोसियों तक की..........
ReplyDeleteअपुन जायें जिधर...
kya bat hai dr. sab bahut khub...vrun bhaee ne bhi than hi liya hai lgta hai....kro ji kro
ReplyDeletevarun bhai jaan
ReplyDeleteapun log jidhar jaaye udhar hangaama apne aap hi ho jaata hai.to date time fix kar ke turant batao.patience kho rahe hain ham.
bhai logon jaldi karo,
ReplyDeletemaa bahan ek karne ki bari aa gaye lag rehli hai.
jai jai bhadaas