29.4.08

इस तरह का धोका क्यों ?

अभी कुछ ही दिन पहले मै एक दुश्रे ब्लॉग के जुड़ी । सच कहू तो ब्लॉग लिखने की प्रेरणा का एक मुख्य कारण वह ब्लॉग भी था । पहले दिन मैंने उसपर एक पोस्ट की । उसके कुछ घंटो बाद दुश्री पोस्ट की पर देखा की कुछ समय बाद एक गायब हो गई । मेने सोचा एर्रोर प्रॉब्लम है । उसके अगले दिन मेने एक के बाद एक तीन पोस्ट की । पर कुछ समय बाद दो पोस्ट गायब हो गई । फिर मेने सोचा की शायद अच्छी न लगी हो इसलिए किसी ने गायब कर दी।
अगले दिन जब मेने अपनी पोस्ट को देखा जो उष ब्लॉग पर थी । उसमे चार - पाँच कमेंट मिले थे। उष पोस्ट का नाम था बलात्कार । जो आपलोग इस ब्लॉग मै भी पढ़ चुके होंगे। किसी ने लिखा था साधारण कविता है । किसी ने लिखा कमला भंडारी कौन है भड़ास पर भी है तो किसी ने लिखा की एक शालीन स्त्री इस शब्द का बार -बार प्रयौग कैसे कर सकती है। कितनी अजीब सी बात है सब कमेंट पुरुषो के थे । मैं पूछती हूँ की स्त्री की सालीनता तब क्यों नही देखी जाती जब मर्द जात उनपर अपनी घंदी नजर डालते है , उसे छेड़ते है । या उनका बलात्कार करते है ? क्या केवल इस शब्द का लिखने मै प्रयोग कर देने भर से स्त्री की शालीनता चली जाती है। फिर तो इसका सीधा अर्थ यही है की कोई भी स्त्री शालीन नही है क्युकी कभी न कभी तो हर स्त्री इस शब्द को अपनी जुबान पर लाती ही है । कभी अपनों के लिए कभी दुश्रो के लिए ।
इतना ही नही जब मेने उनका जवाब लिखकर पोस्ट की तो पेज एर्रोर आ गई । फिर मेने दुबारा कमेंट लिखना चाहा तो अबकी बार मेरा वह पोस्ट भी गायब था। समझ नही आ रहा था की ये सब क्या हो रहा है । उसके कुछ देर बाद मैंने अपनी मेल चेक की . उसी ब्लॉग के तीन मेल आए थे . तीनो मै लिखा था की आपने एक साथ कई पोस्ट की है जिश कारण आपकी सदश्ता रद्द की जा रही है । आपको पहले भी दो बार मेल किया जा चुका है पर आपने ध्यान नही दिया । तीनो एक ही तारिक के थे . तो पहले कब ? उस दिन मै अपने मेल देख चुकी थी तब उस ब्लॉग का कोई मेल नही था । तो क्या मै बार - बार अपनी मेल ही चेचक करती राहू ? बहुत दुःख हुआ मुझे और मैंने उस ब्लॉग को मेल भेजा की मुझे मालुम नही था की एक दिन मै एक ही पोस्ट भेजनी है । अथ मुझे एक मौका और दिया जाए । पर आज तक वहा से कोई जवाब नही आया। कितनी अजीब सी बात है की जहा ये ब्लॉग अपने को स्त्री का ब्लॉग कहता है ।वही एक स्त्री जो इशे अपना समजकर इश्से जुड़ना चाह रही है उसके साथ इस तरह का सलूक करता है ।आख़िर गलती क्या है मेरी ? अगर इनके ब्लॉग के कुछ नियम है तो क्यों नही किया है इन्होने उनका जिक्र अपने ब्लॉग मैं ? फिर क्यों है ये दिखावा की ये स्त्री का ब्लॉग है स्त्री के लिए। जबकि किसी स्त्री की आवाज उठने से पहले ही उसे दबा दिया गया।
केवल इश्लिये की स्त्री को समाज मै निर्बल , कमजोर समझा जाता है , उसका स्थान पुरुषो से कम समझा जाता है इसलिए उसके दुख्रो पर लिखकर उनका ब्लॉग बताकर वाह - वाहिया बटोरी जाए । चर्चा पाई जाए ?मैंने ये पोस्ट किसी की बुरे करने के लिए नही लिखी और ना ही किसी को दुःख पहुँचने के लिए ही लिखी है , लिखी है तो बस इसलिए की आइन्दा किसी और के साथ एषा न हो ।

4 comments:

  1. आप ने उस ब्लॉग का नाम नहीं दिया हैं ? जब आप भडास पर हैं तो आप को बिना डरे उस ब्लॉग नाम भी देना चाहीये था । और आप जो लिखती हैं क्या उसकी गलतियों पर ध्यान नहीं देती हैं ?

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  2. टेंशन लेने का नहीं कमला जी, देने का। सब साले फ्राड लोग हैं, नकली चेहरे चढ़ाए हुए।

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  3. कमला जी,
    क्योँ खाली पीली दुखी हो रही हो,
    वैसे भी आप अभी वहाँ हो जहाँ कोई माई का लाल कुछ नही कहने का , दिल खोल के लिखो और सबकी ऐसी की तैसी कर दो। ये बात तो अब पुरानी हो गयी लोगों को इन चुतियों के बारे में पता चल चुका है तभी तो हमारा भडास सबका बाप बना हुआ है, यहाँ यशवंत दादा और अपने डॉक्टर साब के रहते कोई टेंशन नही लेने का, बस भडास निकलने का।
    और अगर दादा और डॉक्टर साब पंगे लेंगे तो भी टेंशन नही लेने का अरे हम इन दोनों से भी पंगे ले लेंगे।
    (दादा माफ़ करना ये वह वाला पंगा नही है ;-)
    लिखती रहो और हल्की होती रहो ;-)
    वैसे एक बात और , अब आपको बहूत दिन हो गए हैं लिकते हुए सो कृपया करके पोस्ट करने से पहले वर्तनी को देख लें।
    जय जय भडास.

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  4. कमला बहन,आपकी समस्या जानकर दुःख नहीं हुआ बल्कि उन मूर्खों,बदकिस्मतों,शठ्बुद्धिजनों पर हंसी आई जिन्होंने आप जैसी उदीयमान लेखिका की सदस्यता उनकी बनावटी शराफ़त के कारण समाप्त कर दी। अगर आप उस ब्लाग का नाम लिख कर भड़ास निकालती तो ज्यादा स्वस्थ हो पाती आपने उल्टी तो करी लेकिन मुंह पर हाथ रख लिया,भविष्य में ऐसा न करने का वचन दीजिये। हम सब भड़ासी भाई-बहन इतने सरल स्वभाव के हों कि जो दिल में हो वही जुबान पर हो। रजनीश भाई ने सही कहा कि पंगे लेने में कैसा भय? यदि हम दोनो बड़े भाइयों की भी कोई बात अगर आपको नापसंद आती हो तो तत्काल लिख दिया करिये ताकि मन हल्का हो जाए और एक बार फिर कि SPELLING का ध्यान दें वैसे तो भाव समझ में आ ही जाता है किन्तु अगर वर्तनी शुद्ध हो तो रचना में चार चांद लग जाते हैं।
    जय जय भड़ास

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