सभी भडासी भाइयों को नमसकार... दिन में धूप तेज होने से अब तो मेरी तरह सभी पत्रकार भाइयों का धूप में घूमने का मन नहीं करता होगा लेकिन कया करें जाना तो पडेगा ही कयोंकि शाम को संपादक महोदय को रिपोट देनी पडती है एसा कहना है मेरे एक रिपोटर साथी का. जब मैने पूछा इसका इलाज कया है तो एक ही जबाव अाया दिन भर अराम एक करो शाम को फोन पर काम करो
अमरदीप दैनिक भासकर, लुधियाना
arre bhai ye garmi ka hi nai 12 maah ka kaam hai. sham ko bapu phone ki madd lo, aur subha dopehar karna arram hai. ye to patrakarita ka pehla niyam hai ke aap ko phone karna anna chahiye. kyonki bina phone se bhi koi patrakar hota hai.
ReplyDeleterohit sidhu, dainik bhaskar, jalandhar
bhai sathion ko gur diya karo chupchap kyun sareaam patrkarita ke mul bindu batate ho.
ReplyDeleteek baat batana bhool gaye amardip bahia, chamchagiri bhi to karni padti hai. kam se nai to is se nokri bachi rahe.
ReplyDeleteदेखो जी इन्सान अपनी सोच को सब पर थोप दे यह भी ठीक नही, पत्रकार ने खबर फ़ोन पर ली या ख़ुद गए यह तोह ख़बर पड़ के ही पता चल जाता है, तभी तोह कुछ पत्रकार भाई ख़बर में ऐसा तथ्य लिख देते है जो ख़बर के पात्र को ख़ुद नही पता होता, अभी बीते दिनों जालंधर में एक चोरी की ख़बर में कुछ मेहनती अखबारों ने लिख दिया की कोठी के केयर टेय्कर ने ही कोठी में चोरी कर आग लगा दी, आब अगले दिन कोठी मालिक को अकबरो के दफ्तर में जा जा कर कहा भाई कोठी की केयर तोह हमारा परिवार ही करता है आब चोरी किसने की है यह भी बता दो... हा हा हां हा तोह ऐसी खबरे बता देती है की कोण फ़ोन प्रेमी है और कोण स्पॉट
ReplyDeleteनिखिल शर्मा, पत्रकार दैनिक जागरण जालंधर