10.4.08

हरे भइया का खोया दोस्त तलाश लिया......

हरे भइया ने तुषार धवल जी के बारे में बहुत ही दुःख से भर कर लिखा कि ये दोस्त खो गया है। हम तो फड़फड़ा गये फटाक से मोबाइल-मोबाइल खेला तो तीन बार में घन्टी बज गयी और एक गम्भीर सी आवाज आयी हैलो, मैंने कहा भाईसाहब नमस्कार मैं मुंबई से डा.रूपेश श्रीवास्तव बोल रहा हूं क्या आप श्री तुषार धवल बोल रहे हैं, जनाब ने कहा हां बोलिये आलोक जीम मैं बोल्यो कि भाईसाहब मैं आलोक नहीं रूपेश हूं ; बस फिर क्या था उनकी ही कविता उनको सुना डाली तो बोले ये तो मेरी कविता है। अपुन बोला भाई मैंने तो बस तारीफ़ करने के लिये फोन करा है। खूब सारी बातें कर डालीं ,बड़े ही प्रेम से भरे व्यक्ति हैं । महाशय से कहा कि क्या करके रोटी कमाते हैं तो बोले आयकर विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर हूं। मैंने फिर खोदा कि भाईसाहब कमिशनरी करते करते कविता लिखते हैं या कविता लिखते लिखते कमिशनरी करते हैं तो बड़ी ईमानदारी से बोले भाई कविता लिखते लिखते कमिशनरी करते हैं। हरे भाई,आपके दोस्त को ढूंढ लिया है अभी फिलहाल वे अपने गांव झारखण्ड में बोकारो गये हुए है। उन्होंने अपना ई-मेल दिया है आप और सारे भड़ासी उन्हें जरा प्यार से एक चिट्ठी चिपका दीजिये वे आपसे बिलकुल नाराज नहीं हैं। उनका ई मेल है -
tushardhawalsingh@gmail.com

5 comments:

  1. ये है भडास की ताकत!!
    जय हो भडास, जय जय भडास...

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  2. bhai badhai,

    jai jai bhadaas

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  3. dr. babu mujhe malum hai aap hr mrj ki dvaee to khoj hi doge...shukriya mera dost mil gya...unne mujhse khud kaha ve mujhse naraj nhi hai...ab meri sari chinta mit gayi...ab mai bahut khush hoon, shukriya dagder babu...jai bhadas...jai rupesh...jai yshvnt...sbki jay...prem se boliye bhadas maharaj ki...google baba ki...

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  4. hil gayaa re bhaayaa........

    abhi mail maartaa hun.

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