17.4.08

प्रसंगवश-शहीदेआजम भगत सिंह की लोकप्रियता

एक समाचार के माध्यम से मैंने अपने भड़ासी मित्रो के सामने यह तथ्य रेखांकित किया कि एक पत्र के ताजे सर्वेक्षणके मुताबिक इस समय देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं,जो कि देश के सोच में हो रहे बदलाव की सुखद सूचना है इस पर जहां मनीष राज मे अपनी सहमति जताई है तो वहीं डा. रूपेश श्रीवास्तव ने इसे महज मतदाताओं की चुनावी बहादुरी करार दिया है। जो मतदान के बाद फुस्स हो जाती है। रजनीष के झा ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि जिस देश के नागरिकों को अपना राष्ट्रगीत तक याद न हो उनसे राष्ट्रप्रेम की अपेक्षा करना बेमानी है। वरुण राय ने इस मामले में एक सार्थ्रक बहस की जरूरत की मांग की है तो वहीं अबरार अहमद ने बेबाक टिप्पणी की ताऱीफ की है।जाहिर कि विचार की तपिश ने सन्नाटे की बर्फ को पिघलाना तो शुऱु तो कर ही दिया है। बात चली है तो दूर तलक जाएगी।
नया समाचार यह है कि भारत की संसद में शहीदेआजम भगत सिंह की१८ फीट उंची कांस्य प्रतिमा लाकर उन्हें सम्मानित किया जा रहा है जो इंकलाब पसंद लोगों को हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।
पं.सुरेश नीरव
९८१०२४३९६६

8 comments:

  1. पंडित जी ,
    संसद में किसी की प्रतिमा हो या ना हो मगर उसके अंदर कि देशभक्ति का यह पैमाना नही हो सकता है कि अगर वह संसद में है तो बड़ा देशभक्त होगा। लोकतंत्र के चारो पाये जहाँ अंधी दौड़ में सिर्फ़ भागते नजर आ रहे हैं वहाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं उसके अंदर होता है, चाहे वह नेता हो या पत्रकार या कोई और, बहरहाल आपने बात सत्य काया कि बात निकली है तो दूर तलक जायेगी ।
    जय जय भडास.

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  2. पंडित जी,बड़ी मूर्ति लगाने से प्रेरणा मिलेगी या नहीं पर आपकी बात शब्दशः स्वीकार है कि सन्नाटे के ग्लेशियर्स पिघलने लगे हैं विचारों की तपिश से बस एक आशा है कि विचार ग्लोबल वार्मिंग की तरह हो जाएं और पूरी दुनिया में एक सार्थक परिवर्तन आ जाए। आपसे एक वायदा लेना चाहता हूं कि अगर कभी मेरे द्वारा छेड़ी लड़ाई में मुझे मार दिया गया तो आप ही सबसे पहले श्रद्धांजलि लिखियेगा और अपनी कविताओं में मुझे जगह दे दीजियेगा। आज थोड़ी टूटन सी हो रही है विप्रवर......
    जय जय भड़ास

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  3. रूपेश जी की बात से सहमत हूं क्योंकि ये मतदाता वे ही हैं जो टी.वी. के नाचने गाने बजाने वाले प्रोग्राम्स में वोट करते हैं आज का भारतीय बस मतदाता होकर रह गया है।

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  4. सही कहा भईया। बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। चलिए इस बात की खुशी है कि शहीद भगत सिंह को संसद में सम्मान तो मिला। वरना आधुनिक संसद में जुते चप्पल ही चलते हैं।

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  5. नीरव जी ,
    मैं आपसे से सहमत हूँ. बात निकलेगी , चर्चाएं होंगी तो इसका असर भी होगा . रसरी आवत जात ते सिल पर पड़त निशान. अगर हमें परिवर्तन लाना है तो इन्हीं लोगों को साथ लेकर चलना होगा. जैसे लगातार एक ही झूठ को दुहराते रहने से वह सच जैसा लगने लगता है उसी तरह यदि लगातार देशप्रेम की बात चलती रहेगी तो इसका असर भी होगा, ऐसा मेरा मानना है. इसलिए बहस तो होनी ही चाहिए. जरूरत है सिर्फ़ दोहरे व्यक्तित्व से सावधान रहने की .
    वरुण राय

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