मेरे एक ब्लॉग पोस्ट "थोड़ा हिन्दी जान लो भाई !!!" को हिन्दी ब्लॉगर ने "इतनी गंभीरता" से लिया इसके लिए धन्यवाद! उनके नाम न लिखते हुए कमेंट यह है।
Comment One...
अब ऐसे मजाक घटिया लगते हैं। जाने-अनजाने आप हिन्दी के विरुद्ध किये जा रहे इस तरह के षडयन्त्रों में सहभागी हो रहे हैं। यदि दम हो तो कभी अंग्रेजी की पारिभाषिक शब्दावली का विश्लेषण कीजिये और समझने की कोशिश कीजिये कि वे कितने सार्थक हैं।
March 31, 2008 11:32 AM
Comment Two...
हास्य अच्छा है, पर आप अपनी हिन्दी थोडी सुधर लीजिये, ,, "थोड़ा हिन्दी जान लो भाई !!!" .. को अगर "थोड़ी हिन्दी जान लो भाई !!!" लिखते तो बेहतर होता..
March 31, 2008 12:56 PM
Comment Three...
एक बेहुदा मजाक, ऐसा शाहरूख व साजिद जैसे लोग करते है.
March 31, 2008 1:40 PM
Comment Four...
कितनी हीन भावना धंसी है आपमें जो अपनी मातृभाषा के साथ ये बेहूदगी आपको हास्य लगती है।
March 31, 2008 3:06 PM
Comment Five ...
Behoodi harkat hai yeh.
April 1, 2008 8:18 AM
लेकिन मुझे यह जानना है कि हिन्दी की यह दुर्दशा हो रही थी तो यह मठाधीश कहा थे। मुझे यह भी जानना है कि उसमें लिखे अग्रेजी के शब्दों का अर्थ अगर उन लोगो को पता है तो मुझे भी बता दे ताकि मैं भी उसको सुधर लू।
अरे, ये क्या हुआ। बच्चे ने मजाक किया और बाबा लोग बुरा मान गए.....भई, पोस्ट में तो ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके लिए विनीत को खरी खोटी सुनाई जाए। उसके सेंस आफ ह्यूमर को समझने की बजाय नितांत गरिष्ठ गंभीर स्टाइल में उसको लानत मलानत दी जाने लगी है। ये ठीक नहीं है। अगर हिंदी और हिंदी वाले बंदे अपनी कमियों पर हंस नहीं सकते, अपनी अच्छाइयों पर गर्व नहीं कर सकते तो हम हमेशा ही कुंठाग्रस्त रहा करेंगे। इसलिए बेहद जरूरी है कि हम अपनी कमियों पर खूब हंसे, अपनी विचित्रताओं को खूब चिन्हित करें, अपनी कुंठाओँ पर खूब चर्चा करें। सभी ब्लागर साथियों से अपील है कि वो विनीत के लिखे को एक मजेदार लेखन के रूप में लें, न कि एक गंभीर साहित्यिक विमर्श।
ReplyDeleteजय भड़ास, यशवंत
भिड़ू लोग पईले तो सब लोग मिल कर अपुन को ये बताने का कि "हिंदी" लिखना करेक्ट है कि "हिन्दी",बाद में बाकी राड़ा निपटाते रैना....
ReplyDelete