17.4.08

सृष्टि चक्र

असंख्य बिन्दुओं का संग्रह
संग्रह का गमन और पड़ाव
क्षण -क्षण ।
बटोरता अनुभवों के कण
व्यक्तित्व का निर्माण करता
गमन करता
बिन्दुओं का वह संग्रह
क्षण क्षण ।
उसका गमन और पड़ाव
गति और स्थिति उसकी
दोनों एक ही क्षण
विलक्षण ।
ऐसे ही असंख्य विलक्षण
और विश्व गया है बन
बिन्दुओं पर बैठा
इस विश्व को देखता
हमारा मन
मन जिसने पूर्णत्व को
इश्वरत्व को
कर दिया है
कण कण ।
वरुण राय

3 comments:

  1. वरूण भाई,कितनी गहरी सोच है,चूंकि अतिवादी हूं इस लिये यही कहूंगा कि हे वरुण देव! अतिसुन्दर!! अतीव सुन्दर!!!
    आपने ईश्वर के बारे में लिखा अगर ईश्वर भड़ास को पढ़ रहा है तो उसका भी कमेंट जल्द ही आयेगा...

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  2. भाई ,

    छोरो इश्वर विश्वर को, कण कण मैं इंसानियत मानवता जगाओ,
    चाहे इश्वर हो या अल्लाह या जीसस या फ़िर वाहेगुरु,
    सबने पढाया मानवता का पाठ , हमने दिखाया धर्म और काण्ड,
    लो भडास का नाम, करो मानवता को प्रणाम,

    जय जय भडास

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  3. वरूण भाई बहुत गहरे तक ले गए आप। बधाई।

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