20.4.08
मजबूरी या ............कुछ और
मैं बिहार सरकार द्वारा नई टाइप बहाली का बहाल हूँ । कल मैं ऑफिस में था जहाँ की एक पी ओ और एक लेखापाल भी हैं। खगरिया जो की बिहार के पिछरे जिलों की एक करी है में रोजगार गारंटी कानून के तहत जॉब दिया जा रहा है और इसको कवरेज़ के लिए एक दूरदर्शन के पत्रकार आए थे । आते ही उनहोंने बताया की आपको यानि पीओ जो एक ब्लाक में नरेगा के संचालक होते हैं सब कुछ positive ही बोलना है तीन तीन मिनट । मैं सब कुछ सुन रहा था की भाई पत्रकार हैं तो ये सबकुछ positive ही क्यों बोलने को कह रहें हैं खैर ............ पहला प्रश्न नरेगा क्या है ............ पी ओ ............. मजदूरों को १०० दिनों की रोजगार की गारंटी देने वाला कानून जो मजदूरों के पलायन को रोकेगा और उनकी हालत सुधरेगी उन्हें घर में ही रोजगार मिलेगा । दूसरा प्रश्न नरेगा का उधेस्य .......... पी ओ .................. लाखों मजदूरों को जॉब और उनका विकास और .................................... तीसरा प्रश्न क्या फायदा हुआ ............. पी ओ मेरे यहाँ काफी मात्रा में जॉब दिया गया है आदि आदि......................... एन प्रश्नों के बीच पत्रकार बंधू पी ओ को समझा देते थे की आपको ऐसे बोलना है ...... ये बोलना है............... मैनें पत्रकार बंधू से पूछा की नेगेटिव कुछ नहीं सुनेंगे ........... नहीं ........... नहीं मुझे सरकारी vibhag से भेजा गया है इसलिए कुछ नहीं । मैं जो उनको बताने वाला था वो रहा....................... मजदूरों के बदले मशीन से मिट्टी काटी जा रही है और जहाँ मजदूरों से कम लिया जाता है वहाँ उन्हें 82 के बदले ७० ,६०, ७५, ५५ ,यही मिलता है जबकि पुरा काम लिया जाता है । मिट्टी जहाँ भरना होता है पांच फीट ऊँचा वहाँ भरा जाता है तीन फीट । रियल लागत होना चाहिए चार लाख तो बनाया जाता है साधे पांच लाख । इन पैसों का बंटवारा अकेले नही होता है कार्यपालक अभियंता दो प्रतिशत दी दी सी दो प्रतिशत .पी ओ पांच प्रतिशत । रोजगार सेवक पांच प्रतिशत । कनीय अभियंता पांच प्रतिशत .... आदि आदि ......................... चाहकर भी इन भ्रस्तों को नहीं रोक पा रहा हूँ । भड़ास पर ही अपना भड़ास निकल रहा हूँ। सुकर हो भड़ास का जो लिखने का मंच दे रहा है तो बताओ भाई भारसियों क्या करूं । सोचा था की आए atrakar बन्धु को कुछ उपरोक्त हकीकत का झलक बताऊं पर अरमा आंसुओं में ........................खैर पर्यास जारी है ............... मजदूरों के पैसे को खाने पर रोक जरूर लगाऊँगा । हद तो टैब हो गई जब delhi की teem भी chupchap अपना koram पुरा कर chalee गई।
दिनकर जी,यही बात जो आप कहीं और नहीं कह सकते भड़ास के मंच पर गला फाड़ कर कह सकते हैं, चिल्ला सकते हैं अगर कोई सुने न सुने तो भी लेकिन कम से कम हम लगभग पौने तीन सौ चूतियेस्ट लोग एक दूजे की सुनने को बैठे हैं ही.....हर शाख पे उल्लू बैठा है तो अंजाम ए गुलिस्तां तो यही होने वाला है....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
अबे चूतियेस्ट भड़ासियों उल्लुओं को क्या तुम्हारा बाप उड़ाने आएगा? तुम क्यों नहीं उड़ाते उल्लुओं को या फिर कविताएं लिख कर ही खुश हो? RTI वाले मामले की क्या हवा निकल गयी या तुम लोगों की गांड फट गयी?
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