बुंदेलखंड के बांदा जिले का बसहरी गांव जितनी बुरी हालत में इस बार है, शायद ही पहले कभी इतनी बदतर हालत में रहा हो। एक तो पानी नहीं बरसा। खेती चौपट हो गई और दूसरी तरफ चार साल से पड रहे सूखे की मार ने इस इलाके की कमर तोडकर रख दी है। किसानों की फसल तक की लागत नहीं निकल पाई। इस बार न गांव में ताजगी थी और न ही वहां की माटी में सुगंध। थी तो सिर्फ हर ओर बदहाली और कब्रिस्तान का सा सन्नाटा, भूखा मरता किसान और प्यासे मरते मवेशी। कुंए में एक बूंद पानी न था और न ही तालाब में। कामता के पंद्रह बीघा खेत में मात्र चार पसेरी गेहूं हुआ। उसे यह चिंता खाए जा रही है कि इस साल वह अपना पेट कैसे पालेगा। इलाके में चोरी चकारी बढ गई है। राहगीरों को रास्ते में ही लूट लिया जाता है, और अंधेरा होते ही लोग घर से बाहर निकलने से घबराते हैं। बसहरी की तरह ही बुंदेलखंड के अधिकांश गावों का हाल है। अगर देश का सबसे बदहाल क्षेत्र इसे कहा जाए जो गलत नहीं होगा। जब से गांव जा रहा हूं, तब से इसे ऐसे ही पाया है। न कोई विकास हुआ और न ही किसी को यहां की सुध है। मात्र कुछ सरकारी नल ही हाल मे यहां लगे हैं जो लोगों की प्यास बुझाने का एकमात्र जरिया है। जिस के घर के सामने यह नल लगे हैं, वह दूसरों को पानी न भरने देने की भरपूर कोशिश करता है। उस नल पर अपना अधिकार जताता है। संचार क्रांति और आधुनिकता के प्रतीक एयरटेल का टॉवर गांव में जरूर लग गया है। भूख से मरते किसान को मोबाइल के मोह में फंसाया जा रहा है। अखबारों में पढा की राहुल गांधी बुंदेलखंड के दौरे पर हैं, वे यहां के हालात को जानने और समझने गए हैं। उन्होंने कई गांवों का दौरा किया और किसानों की बदहाली देखी लेकिन अगले ही वे आईपीएल के मैच में दिखे। उन्हें देखकर हैरानी इस बात की हुई कि यदि कोई सचमुच किसानों और इस क्षेत्र के गरीबों को शुभचिंतक है तो उनकी स्थिति देखकर कोई कैसे चैन से सो सकता है। जो आदमी कल तक यहां की स्थिति का जायजा ले रहा था, लोगों की बदहाली जानकर भी कैसे उसे आईपीएल का मैच सुहा सकता है। कैसे वह उन किसानों के मुरझाए हुए चेहरों को भूलकर खचाखच भरे स्टेडियम में मैच का मजा ले सकता है।
भागीरथ
भागीरथ जी,मैं खुद अपनी आंखों से बदहाली का ये तांडव झांसी,बांदा और आस पास के क्षेत्र में देख कर आया हूं,ऐसा लग रहा था कि अगर इस बदहाली पर इधर रो दिया तो लोग मेरे आंसू से निकले पानी की कुछ बूदों के लिये ही आपस में लड़ मर जाएंगे इस लिये वहां तो रोया तक नहीं। लेकिन हमारे देश के नेताओं को क्या कहें शेष देशवासी भी एकदम पत्थरदिल हैं......
ReplyDeleteभाई जिस देश का कृषि मंत्री चुटिया नंदन किसानों को छोर कर गिल्ली डंडा के साथ हो उस देश का क्या हाल हो सकता है, वैसे कमोबेश ये हालत सम्पूर्ण भारतवर्ष की है, चाहे वह विदर्भ हो या मिथिलांचल या फ़िर आंध्र और कर्णाटक।
ReplyDeleteवैसे चलिए शायद भडास के बहने ही गांदु कृषि मंत्री का ध्यान किसानों की और जाए......
जय जय भडास