हिंदी के टाप टेन अखबार और उनकी प्रसार संख्या
1 दैनिक जागरण (566 lakh)
2 दैनिक भास्कर (319 lakh)
3 अमर उजाला (296 lakh)
4 हिंदुस्तान (252 lakh)
5 राजस्थान पत्रिका (137 lakh)
6 पंजाब केसरी (111 lakh)
7 आज (74 lakh)
8 नवभारत टाइम्स (52 lakh)
9 नवभारत (52 lakh)
10 प्रभात खबर (50 lakh)
अंग्रेजी के आठ बड़े अखबार और उनकी प्रसार संख्या
1 Times of India 136 lakh
2 Hindustan Times 63 lakh
3 Hindu 56 lakh
4 Economic Times 20 lakh
5 Indian Express 20 lakh
6 Mid-Day 18 lakh
7 Mumbai Mirror 16 lakh
8 DNA 13 lakh
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(उपरोक्त दोनों आंकड़े आईआरएस 2008, राउंड वन के हैं। आपने एक चीज गौर की, अंग्रेजी के सबसे बड़े अखबार की प्रसार संख्या हिंदी के पांचवें नंबर के अखबार से भी कम है। लानत है अपने हिंदी वालों पर जो इतनी बड़ी संख्या में होते हुए भी इन मुट्ठी भर अंग्रेजी वालों से आतंकित रहते हैं)
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उपरोक्त दोनों खबरें बस कुछ दिन पुरानी है, सभी पत्रकारों को पता भी है, हर जगह छप भी चुकी है, पढ़ी भी जा चुकी है, पर अब तक भड़ास पर नहीं आई। इसकी दो वजह है। एक तो मेरी व्यस्तता और दूसरी अन्य भड़ासियों पर निर्भरता। सोच रहा था कि कोई न कोई भड़ासी पत्रकार बंधु इस खबर को भड़ास पर डाल ही देगा पर किसी ने नहीं डाला।
आईआरएस 2008 राउंड वन के नतीजे आ चुके हैं। और इसमें एक बार फिर दैनिक जागरण देश के सभी तरह के अखबारों, पत्रिकाओं, टैबलायडों में नंबर वन आया है। नंबर वन यह पहली दफे नहीं बल्कि दसवीं दफे आया है। मजेदार यह है कि दैनिक जागरण हर बार अपने दूसरे नंबर के प्रतिद्वंदी दैनिक भास्कर को कहीं ज्यादा अंकों से पीछे कर दे रहा है।
अगर कोई भड़ासी साथी आईआरएस 2008 राउंड वन के नतीजों को विस्तार से इस भड़ास पर डाल दे तो बड़ी कृपा होगी। जैसे मैग्जीन सेक्शन में सरिस सलिल नंबर वन पर है। टाप टेन में कुल 10 मैग्जीन हैं, कौन कौन हैं और इनका कितना प्रसार है, ये भड़ास पर डालना चाहिए। इसी तरह टाप टेन हिंदी अखबारों जिसमें जागरण नंबर वन पर है और प्रभात खबर नंबर 10 पर है, की सूची व उनकी प्रसार संख्या भी भड़ास पर डाली जानी चाहिए। तो कोई है माई का लाल जो इन आंकड़ों को विश्लेषित करके भड़ास पर डाल सके ताकि देश के कोने कोने के पत्रकार बंधु भी अपनी धंधे की दुनिया की हकीकत व तथ्यों को जान सकें।
आइए, इस सर्वे के बारे में दैनिक जागरण ने खुद जो खबर अपनी साइट पर दी है, उसे पढ़ें....
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लगातार दसवीं बार दैनिक जागरण नंबर वन
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दैनिक जागरण माने नंबर 1. अपने सुविज्ञ पाठकों के प्रिय समाचार पत्र ने अद्भुत अभूतपूर्व कीर्तिमान कायम किया है। भारतीय प्रिंट मीडिया के इतिहास में लगातार दसवीं बार पहले स्थान पर बने रहने का रिकार्ड बनाया है दैनिक जागरण ने। ये है पाठकों के प्रति दैनिक जागरण की प्रतिबद्धता और दैनिक जागरण के प्रति पाठकों के विश्वास की बेमिसाल बानगी।
समाचार पत्रों की पाठक संख्या के आंकड़े जुटाने वाली मान्यता प्राप्त अधिकृत संस्था इंडियन रीडरशिप सर्वे [आईआरएस] 2008 राउंड 1 के परिणामों के मुताबिक दैनिक जागरण को पढ़ने वाले पाठकों की संख्या बढ़ कर पांच करोड़ 66 लाख हो गई है। इसके पूर्व जब आईआरएस 2007 राउंड 2 के परिणाम घोषित किये गए थे तो दैनिक जागरण के पाठकों की संख्या पांच करोड़ 36 लाख थी। इन दोनो सर्वे के अंतराल में दैनिक जागरण के पाठकों की संख्या में 30 लाख का इजाफा हुआ है यानी कुल छह प्रतिशत की बढ़ोतरी। जागरण ने अपने मूल पाठकों की थाती तो संभाल कर रखी ही है वहीं अपनी विश्वसनीयता के बूते बड़ी संख्या में नए पाठकों को भी जोड़ा है।
देश के अखबारी जगत के इतिहास में ऐसा पहली बार देखा गया है कि कोई दैनिक समाचार पत्र लगातार दसवीं बार अपनी सर्वोच्चता कायम रखने में कामयाब रहा हो। एक कहावत है कि चोटी पर पहुंचना अगर मुश्किल है तो उस पर लगातार बने रहना नामुमकिन लेकिन दैनिक जागरण ने इस नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है।
इंडियन रीडरशिप सर्वे के नतीजों की एक और खास बात ये है कि दैनिक जागरण ने अपने बाद दूसरे नंबर पर आने वाले समाचार पत्र को लगातार और ज्यादा पीछे छोड़ने का सिलसिला कायम रखा है। आईआरएस 2007 राउंड 2 के नतीजों में ये जाहिर हुआ था कि नंबर 1 दैनिक जागरण और दूसरे स्थान पर रहने वाले समाचार पत्र के पाठकों की संख्या के बीच दो करोड़ तीस लाख का अंतर [गैप] था। ताजा सर्वे में अब ये अंतर और बढ़ कर दो करोड़ 50 लाख हो गया है यानी नंबर दो पर आये अखबार के पाठकों की कुल संख्या से दैनिक जागरण के पाठकों की संख्या ढाई करोड़ ज्यादा है।
उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण को मीडिया जगत के बहुमुखी सुपर ब्रांड का अलंकरण भी हासिल है। यह उपलब्धि हासिल करने वाला दैनिक जागरण देश का एकमात्र भाषाई समाचार पत्र है। ब्रांडिंग के क्षेत्र में तमाम आयामों पर खरा उतरने के लिए दैनिक जागरण को पिछले साल 'कंज्यूमर सुपर ब्रांड' सार्टिफिकेट से नवाजा गया था। इस वर्ष अपने पाठकों के इस चहेते अखबार ने 'बिजनेस सुपर ब्रांड' का सार्टिफिकेट भी हासिल करने का गौरव पाया है। इस तरह दैनिक जागरण ने ब्रांडिंग की कसौटी पर भी दोहरी उपलब्धि दर्ज की है।
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और ये दूसरी खबर एक्सचेंजफारमीडिया.काम से.....
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Dainik Jagran continues the lead in Hindi dailies; TOI leads English
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The Media Research Users’ Council (MRUC) has released the data for the Indian Readership Survey (IRS) 2008 Round 1. There aren’t any surprises in the numbers this time as well.
The top 10 Hindi dailies see Dainik Jagran topping the charts again with a total readership of 566 lakh. Dainik Bhaskar follows with a total readership of 319 lakh. Amar Ujala is at No. 3 with a total readership of 296 lakh; Hindustan is on the fourth spot with a total readership of 252 lakh, and Rajasthan Patrika is at No. 5 with a total readership of 137 lakh.
Punjab Kesari, with a total readership of 111 lakh, is in the sixth position, followed by Aj at No. 7 with a total readership of 74 lakh. Navbharat Times shares the eighth position with Navabharat (Mah/Chh), both having a total readership of 52 lakh. Prabhat Khabar is at No. 10 with a total readership of 50 lakh.
The top 10 English dailies see The Times of India lead the charge with a total readership of 136 lakh for all its editions put together. The Hindustan Times follows with a readership of 63 lakh. The Hindu with a total readership of 56 lakh is at No. 3. The Economic Times is the only financial daily to have made it to the top English dailies list with a total readership figure of 20 lakh. It shares the fourth position with The New Indian Express, which too has a total readership figure of 20 lakh. Mid-Day follows at No 6 with a readership of 18 lakh, Mumbai Mirror at No. 7 with a readership of 16 lakh, and DNA at No. 8 with a total readership of 13 lakh.
दादा,
ReplyDeleteआपने जागरण को सलाम किया है, हम भी करते हैं। जो लीडर होता है उसे सलामी मिलनी ही चाहिए, मगर सलाम तो हमारे हिन्दी को , हमारे भारत वर्ष को हमारे आवाम को जिसने छद्म चरित्र को पहचाना है, पेज थ्री नही आम जन को जाना है।
ये सारे आंकडे बताते हैं की भाई बहुत हुआ अब तो हमें हम ही चाहिए दुसरे की बिकनी शो नही , पेज थ्री पे मरो लात देश को करो आत्म्शात।
ये आंकडे सचमुच में चौंकाने वाले हैं और जैसा आपने लिखा है सचमुच में अंग्रेजियत पे करारा तमाचा है।
आपको साधुवाद इस जानकारीपरक पोस्ट के लिए।
जय जय भडास.