14.5.08

लाल हो गया शहर गुलाबी, हाई अलर्ट हुआ खल्लास

जयपुर में हुए हादसे,लीडरों के बयान और क्रिकेटरों की बाजारू मुस्कान के मद्देनजर जो मुझे एहसास हुआ भड़ासियो की अदालत में पेश है, मेरी रूह का ये बयान-

लाल हो गया शहर गुलाबी, हाई अलर्ट हुआ खल्लास
टहल रहा वहशी हूजी का अट्टहास लाशों के पास
रुका नहीं सर्कस क्रिकेट का चैनल की चौपाल पे यार
बेचकर इंसा अपना जज्बा सिर्फ रहा पैसों के पास
भागे हैं आतंकी भैंसे चर के जन-जीवन की घास
सुबक रहे हैं बैठे लीडर खूंटे और जंजीर के पास
मक्खी ऐसे भिनक रहीं हैं मंदिर की प्राचीर के पास
जैसे हों आतंकी जत्थे सीमा पर कश्मीर के पास
पिकनिक मना रहे हैं लीडर खबरों की खोली में यार
बैठा चुइंगम चबा रहा हूं मैं उनकी तस्वीर के पास।

पं. सुरेश नीरव
मो.-९८१०२४३९६६

4 comments:

  1. आदरणीय नीरव जी
    गज़ब का कटाक्ष है। आँखे खोलने के लिए काफी है मगर खुलेंगी उसीकी जिसकी होंगी। ऐसी कविता के लिए आपको बधाई और धन्यवाद भी।
    बलराम दुबे

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  2. पंडित जी प्रणाम,
    देश के ताजे हालत पर आपका कटाक्ष सोचने को मजबूर करता है, सच कहा आपने हम बड़े स्वार्थी हो गए हैं. कोई मरे-जिये हमें क्या हमें तो बस हमारा पसंदीदा चाहिए. और इन धंधे वालों को धंधा.
    आपके इस कटु सच से किस किस के आँखों की परत हटेगी ये तो नहीं कह सकता मगर सोच रहा हूँ की मानवीय मूल्यों से मानव कितना दूर होता जा रहा है.

    जय जय भडास

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  3. गुरुदेव,
    आपकी दमदार कविता नक्कारखाने में तूती की आवाज बन कर रह जायेगी. मौत के इस वहशियाने खेल को अगर ख़त्म होना है तो सम्पूर्ण विश्व के आम लोगों को जाति धर्म से ऊपर उठ कर इन मौत के हरकारों का सामना करना होगा .
    वरुण राय

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  4. बडे भईया प्रणाम। वाकई में इस तवरित कटाक्ष के लिए आपकी जितनी सराहना की जाए कम है। समाज का वह चेहरा आपने दिखा दिया जिसे हमने खुद बनाया है। अब आपकी इस रचना का कितना असर होगा इसकी गणना नहीं करूंगा लेकिन इतना जरूर है कि आपकी यह रचना सच दिखाती है।

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