15.5.08

वहां क्यों गए?

अब सोनिया गाँधी भी जयपुर जा फुचिन। आद्बानी भी जयपुर पहुंच गए। लगता टू ये है की ये नेता बम विस्फोटा मी घायल हुआ लोगों के हम दर्द है। लेकिन असा है नही, ये लोग जनता के हाँ दर्द होने का कवल नाटक ही कर रहे है। विअईपे लोगों की सुर्छा मी प्रशासन को कितनी परेशानी होती है, क्या यह इन नेताओं को पता नहीं हिया। प्रशासन घायलों की सेवा करे या इन नेताओं की सुर्छा? जाहिर से बात है की प्रशासन को इन नेताओं के सुर्छा मी ही लगना पड़ा होअगा। जिससे बचारे घयकों को परेशां ही होना पड़ा होगा। इस प्रकार नेता देश के सम्न्रे दोहरी समस्या बन जरे है। आतंकवाद इनकी ग़लत नीतियों के कारण फैला है। दूसरे, आतंकवादियों की चपेट मी जो लोग आते है। उनको ये नेता अस्पतालों में भी चैन नहीं लाला डाटा। क्या जरुरत थी सोनिया और आडवानी को जयपुर जाने की? ये अपने ही घरों मी आराम फरमाते रहते। कम कम से कम घायलों के हित में टू यही था।।
एक भादासी
राजेंद्र चतुर्वेदी.

3 comments:

  1. राजेंद्र भाई,
    जरूरत तो इन्हें ही है, चुनाव जो आने वाला है. वैसे भी हमारे नेतौं को लोगों के वोट से सरोकार होता है चोट से नहीं.

    और आपसे साग्रह निवेदन तनिक भाषागत त्रुटि देख लिया करे.
    जय जय भडास

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  2. राजेंद्र भाई,आपने सही कहा है लेकिन क्या करें साली हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था है ही ऐसी...
    द्सरी बात कि आप हमारे रजनीश भाई की बात पर बिलकुल ध्यान मत दीजिये और पेले रहिये भाषा का भूसा अपने आप ही अभ्यास से सुधर जाएगा :)

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  3. अरे यार सीधी सी बात है, अपनी मय्या चुदवाने गये हैं साले। चुनाव आ रहे हैं सर पर, सीमा पर आतंकी घुसपैठ और जयपुर के धमाके सभी
    राजनीती से प्रेरित हैं।
    गंदी राजनीती..

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