कल शाम रुपेश भाई का फ़ोन आया कि भाई भडासी जरा १० बजे एन डी टी वी देख लियो ब्लॉग पर सच उगलने वालों से फटने वालों की ब्लॉग पर चर्चा है ।
इन्तेजार की घड़ी खत्म हुई और एन डी टी वी का न्यूज़ पॉइंट शुरू हो गया। मेहमान क्या कमाल के थे। मेहमानों को देखकर एक बात साफ दिखा की ये समाचार चैनल या तो पूर्वाग्रह से पीड़ित है या अपने भविष्य को लेकर आतंकित। ब्लॉग पे चर्चा और सर्वाधिक लोकप्रिय ब्लोग का मोड्रेटर दिखा ही नही, पहली नजर में तो मुझे शक सा हुआ कि क्या ये वाकई ब्लॉग पर ही चर्चा है। क्योँ कि बात शुरु
बच्चन साब से की गयी, आमिर खान पर गयी और फिल्मी धुन गुनगुनाती नजर आयी।
बहरहाल ब्लॉग पे चर्चा शुरु हुई और एन डी टी वी के अविनाश अपनी रिपोर्ट के साथ हाजिर थे, महाराज जी ये बताओ तुम्हारी स्क्रिप्ट तुम्हारी रिपोर्ट साफ कह रही थी की या तो तुम्हें ब्लॉग को टारगेट और अपने लाला , गुरु जी को अपने चुतिये ब्लोगोर गेस्ट को खुश करने को भडास को गरियाने को कहा गया है। जहाँ स्क्रीन पे सिर्फ भडास और सिर्फ भाडासियों का पोस्ट्स, बात-चीत किसी और की हद तो तब हो गयी जब सर्वाधिक लोकप्रिय ब्लोग के मोडेरेटर के नाम कहीं नहीं दिखाई दिए, भाई लोगों वैसी हमारे मोडेरेटर को तुम्हारे दिखाने ना दिखाने से कोई फर्क नहीं पड़ता मगर एक बात तो तय है की मीडिया और पत्रकारिता सचमुच में तेल लेने चली गयी है। टीवी पत्रकारिता हो या ब्लोग सभी की शकल से जो जाहिर हो रहा था कि भडास , भडासी ये चुतिये कि जमात ऐसा कैसे हो गया कि ये वहाँ पहुंच गए जहाँ से इन लोगों को अपने अस्तित्व कि चिंता होने लगी ।
अपने आका और लाला को तेल लगाने वाले ये पत्रकारिता के दुर्योधन , चिंताओं से घिर गए हैं. चिंता है इन्हें अपने अस्तित्व कि क्योँ कि इनकी विश्वसनीयता संदेह के दायरे में है चिंता है इन्हें एक ऐसे प्रतिद्वंद्वी से जो इनके लिए चुनोती बन चुका है क्यूंकि इनमें जो सच दिखाने कि सुनाने कि कहने कि ताकत नहीं है वोह हम भडासी बे हिचक कह सकते हैं और कह रहे हैं. इनके लिए हम चुतिये हैं क्योँ कि ये लाला का भला चाहते हैं और हम अपने भडास से चुतियों को उसका कर्तव्य याद दिलाते हैं.
जय जय यशवंत
जय जय भडास
रजनीश भाई, फ़टेगी तो है ही सबकी।
ReplyDeleteइसी लिये तो ये लाम बंदी इस स्तर तक पहुंच
गई है, कि एक राष्ट्रीय स्तर के समाचार चैनल
पर भडास को टार्गेट कर के बहस की शुरुआत की
गई। लेकिन एक बात है कि इस सब से इन तथा कथित मीडिया के ठेकेदारों को हासिल क्या हुआ?
मै तो इसे भडास की लोकप्रियता बढाने का संकेत मानता हूं। मै स्वयं इस बहस को नही देख पाया
लेकिन जिससे भी सुना ये ही लगा कि लोग चाह कर भी भडास के खिलाफ़ बोल नही पाये।
ये फ़िर से इस ओर इंगित करता है कि
भडास अपने आप में एक ऐसा सशक्त माध्यम बन चुका है, जिससे कि स्वतंत्र मीडिया एक बार फ़िर
आशावान हो चला है। यहां कुछ भी छापने
के लिये किसी की लल्लो चप्पो करने की आवश्यकता नही है। जो भी हो इस बहस से
भडास को राष्ट्रीय स्तर पर जो एक्स्पोज़र मिला है
वो निसंदेह अपने आप में एक मिसाल है कि ब्लाग की ताकत क्या हो सकती है।
पत्रकारों के सबसे बडे ब्लाग भडास को बधाई!!!
जय भडास!!
सोलहो आने सच कहा अंकित भाई
ReplyDeleteहमें बस डटे रहना है रजनीश भाई.
वरुण राय
rajneesh bhai..likha aur kya khoob likha..yakin jaaniye..main bahut dino se soch raha tha ki main aapsey aagrah karun ki aap bhadas par kuch likhen par aapney to mauka hi nahi diya...aapsey jyada samajh kisko hogi..patrkaron ke sarey karmkaand roj dekhtey hongey....to aisey mein aapka likha behad mahtvapurna mere liye jaroor hai....mast likha....main aisa bilkul nahi likh sakta ....keep it on....aagey bhi likhiyega....muje aapka likha padney ka intjaar rahega....
ReplyDeleteaapka
hridayendra
bahi logo agar bhadas ishi tarha sach ugalta raha to wo din door nahi jab apradhi log chhahe wo koi bhi kyu na ho gaayenge -----
ReplyDeletebachke tu rahna re ,
bachke tu rahna ,
nahi dooja mauka milega sambhalna bhadas tujhe dhoond hi lega,
aur kar dega khalaasssssssssssssssssssssssssss.
हृदयेंद्र भाई, मैं थोडा सा अनपढ़ जाहिल हूँ, इसलिए कम ही लिखता हूँ, वैसे धन्यवाद कमोबेश कोशिश करूंगा कि कुछ सत्य लिखूं और लिखने से पहले आईने में अपने आप को निहार लूं कि जो आइना दुसरे को दिखा रहा हूँ उसमें मैं कैसा लग रहा हू.
ReplyDeleteधन्यवाद
जय जय भडास.