अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
6.5.08
जिन्दगी तेरे नाम रही
तेरी गलियों में हरदम हस्ती अपनी बदनाम रही हजार कोशिश की मगर हर कोशिश नाकाम रही तुम बिन सूना हर दिन बीता और उदास हर शाम रही फिर भी जा ओ बेखबर जिन्दगी तेरे नाम रही
अब मैं ये सोच रहा हूं कि ये कविता किसकी गर्लफ्रेंड को सुनाऊं कि देखो तुम्हारे लिये मेरा भाई कैसी-कैसी कविताएं लिख रहा है.....
ReplyDeleteरुपेश भाई कहीं मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में तो नहीं सोच रहे हैं ना. बड़ी मुश्किल से मिली है उ भी भाग जायेगी ;-)
ReplyDeleteभागीरथ भाई अच्छी बन पड़ी है.
जय जय भडास.