मै पिछले कई दिन से एक अभागिन मां को उसके घर पहुचाने के प्रयास में लगा था, आखिर आज शाम 7 बजे सफलता हासिल हो गयी।
कानपुर नगर स्थित वृद्धाश्रम में रोहतास जिले के सुजानपुर गांव की रहने वाली माता जी श्रीमती राजमणि दुबे विगत तीन माह से अपने परिवार से बिछुड कर रह रही थी। हर पल घर की याद हर पल अपने बच्चो की याद में समय काट रही थी। उधर उस मां के बच्चे भी अपनी मां को लगातार ढूंट रहे थे, बिना किसी पते के।
दिनांक 08।05.2008 को मैने एक पोस्ट भड़ासी साथियों के लिये डाली जिसमें साथियों से अनुरोध किया था कि वह इस अभागी मां के बच्चों को ढूढने मे हमारी मदद करें, अभी 12 घण्टे भी नही बीते थे कि दिल्ली के राजीव रंजन व सासाराम के मुकेश जी जो अब दिल्ली में रह रहे है तथा भड़ासी भी है, ने फोन पर पता सूचित किया, जिसके बाद मैने धन्यवाद भडासियों जीत ली जंग शीर्षक से एक पोस्ट डाली थी।
भड़ास में प्रकाशित पोस्ट के बाद, भड़ास से सूचना पाकर आज श्रीमती राजमणि दुबे का पुत्र कानपुर आ गया और अभी अभी वृद्धाश्रम अपनी मां के पास पहुंच चुका है, वह अपनी मां को अभी पुरूषोत्तम एक्सप्रेस से वापस घर ले जाने के लिये निकल रहा है।
यहां पर एक दु:खद पहलू यह हे कि अपनी मां को खोजते-खोजते इनके एक पुत्र का निधन हो गया जिसका दंसवा संस्कार परसो उसके घर पर होगा।
मदर्स डे को ये तोहफा सभी भड़ासियों की तरफ से राजमणि व उसके परिवार को है।
आज भडास ने वह कर दिखा दिया जिसके लियें लोग सिर्फ बाते ही करते है।
मै इस इचीवमेन्ट के लियें बडे भाई यंशवत जी, राजीव रंजन जी, मुकेश जी, रूपेश जी, रजनीश जी को एक बार पुन: धन्यवाद दे रहा हू।
5/10/०८
8:21 PM
शशिकांत जी,
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत बधाई। दरअसल जो काम आपने किया है, वह जंग नहीं बल्कि 'आपरेशन ममता' है। आप जैसे सपूत के साथ दुनिया की सभी माताओं की दुआएं हमेशा रहेंगी। सामाजिक सरोकार को जिस शानदार जिम्मेदारी से आपने निभाया और बाकी भड़ासी साथियों ने उसमें अपने समय की आहुति दी उसके लिए आप सभी को साधुवाद।
यशवंत सिंह का एक अनूठा प्रयास 'भड़ास'आज वास्तव में साकार ही नहीं, एक भरा पूरा संसार है। जिसमें मां, बेटे, बहनें, भाई और न जाने कितने अनजाने रिश्ते हैं।
भूखे नंगे लोग ही रिश्तों को पानी देते हैं
पैसे वालों का तो सब कुछ पैसा होता है
आप सभी को फिर एक बार ढेर सारी बधाई
आपका भड़ासी साथी
रियाज़
शशिकान्त भाई,आपने सिद्ध कर दिया कि भड़ासी एक मोम जैसा दिल रखते हैं जो कि दूसरों की पीड़ा को महसूस करके रो सकते हैं,आपने ऐसा कार्य कर दिया है जो कि एक उदाहरण बन गया है मुद्दों पर चर्चा करने और मुद्दों को सुलझाने वालों के बीच अंतर बताने वाला। आपको दिल की गहराइयॊं से आशीर्वाद....
ReplyDeleteमेरी माताजी की ओर से भी आशीर्वाद स्वीकारें..
शशिकांत भाई, वाकई में इस नेक काम का सेहरा आपके सिर बंधा है। आपकी मेहनत और एक इमानदार सोच ने वह काम कर दिखाया जो आज हम इंसानों में से गुम होता जा रहा है। निश्चय ही आपका यह काम हम भडासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। आपको कोटि कोटि बधाई।
ReplyDeleteShashikant Sir, Pranam aur dher saari badhayee. Kanpur inext mein kaam karate huye aapse nahin mil paya, par milane kii ichcha jaroor hai. Aise saput se kaun nahin milana chahega. Ek baar phir badhayee
ReplyDeleteशशिकांत भाई, इस घोर कलयुग में आपने ये सबित कर दिया कि आज भी इंसानियत जिंदा है जिस तरह से आपने एक मां को उसके बच्चों से मिलवाया सराहनीय कदम है इसलिए आपकों और सभी भाडासी भाइयों कों ढेर सारी बधाई।
ReplyDeleteभडासी भाई शशिकांत,
ReplyDeleteसर्वप्रथम आपको बधाई और सहस्र बधाई, आपने जिस जीवट इच्छाशक्ति का परिचय दिया है वो वाकई काबिले तारीफ़ है, सचमुच आज के इस भौतिकवाद से भरे ज़माने में जिस भावना और इंसानियत की मानवता को जरूरत है, नि:शंदेह वो कहीं नहीं है. मगर अब हम ऐसा भी नहीं कह सकते क्योँ की स्वार्थ और स्वहित से परे हम अपने तमाम भडासी भाई से उम्मीद कर सकते हैं की जिस का सपना हमारे हरे दादा और यशवंत दादा ने देखा है उसे हम जरूर पूरा करेंगे. लोकतंत्र के जिस चौथे पाये की हम बात करते हैं उसका सीधा संबंध मानवता से होता है, लोकहित से होता है, लोक कल्याण के लिए होता है, मगर बजारू होते जा रहे हमारे बेकाबू मीडिया से लाला जी के धंधे के कारन बाजार के दौर में इन तमाम चीजों को ताक पर रख चूका है का विकल्प क्या है.
संभवतः भड़ास
भडास परिवार को बधाई