13.5.08

परिचय -

नमस्कार मित्रों,
विशेषकर यशवंत जी का की आपने मुझे भी अपने इस अनोखे और अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण मंच पर अपना भडास निकलने का मौका दिया।
वैसे तौ आधिकारिक रूप से ना ही मैं पत्रकार हूँ और न ही की अधिकारिक पद पर हूँ परन्तु इसमे कोई शक नही की मैं भी हिन्दुस्तान के मौजूदा व्यवस्था का ही एक हिस्सा हूँ और ऐसा हो नही सकता की हमारे इस महान व्यवस्था के किसी भी इंसान के मन मैं भड़ास न हो; जय हो हमारे चार स्तम्भ का - १) विधायिका २) कार्यपालिका ३) न्यायपालिका और अंततः इन सब मैं सबसे महान ४) पत्रकारिता

सबका पोल खुलेगा, सब अर्ध नग्न अवस्था मैं नज़र आयेंगे;

जय जय भड़ास
रणधीर झा




3 comments:

  1. भाई,पोल और होल दोनो खुले तो अर्धनग्न क्यों पूर्णनग्न नजर आएंगे...
    जय जय भड़ास

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  2. भाई,
    स्वागत है आपका भडास परिवार में, परन्तु बंधू ये क्या खाली परिचय, अरे भइये अब जल्दी से कर दो, अरे नंगा ;-) . जो जो भडास निकालना है बस सुरु हो जाओ.

    जय जय भडास.

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  3. रणधीर झा जी ,
    भड़ास पर आपका स्वागत है . आदर्श स्थिति तो ये होती कि इस देश को न भड़ास की जरूरत होती और न किसी को नंगा या अधनंगा होने की . परन्तु जब आजादी के इतने वर्षों के बाद भी वो आदर्श स्थिति नही बन पायी है और न निकट भविष्य में बनती जान पड़ती है तो इसके लिए जिम्मेदार लोगों को नंगा तो होना ही पड़ेगा . अब उन्हें नंगा आप करें या हम या हमलोग सब मिलकर .
    वरुण राय

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