बात उल्लू ने कही गुस्सा गधे को आ गया।
इब समझ में आया की आज कल यो घंने सुथरे सुधरे सपने कित सै आन लग रे सें !कल अपना उल्लू होना याद आया तो सपने में साक्षात् लक्ष्मी जी म्हारे पै रात भर भूतनी की तरीयाँ सवार रही !
क्यों की हम उल्लू तो , लक्ष्मी जी की बी। एम्. डब्लू. कार हैं ! और भाई पंडीत जी न्यूं समझ ल्यो की रात भर मजा आ गया और भाई जब सवार सुथरा हो तोसवारी कराने का भी आनंद आवै सै और लक्ष्मी जी तें सुथरी और कौन मिलेगी सो आप भड़ासियोंकी कृपा से बड्डे मौज के सपने आवन लाग रे सें ! जय हो भाई पंडीत जगदीश जी त्रिपाठी की ना आप उल्लू बनाते और ना हमें यो लक्ष्मी जी को अपने ऊपर सवारी कराने का परम सौभाग्य प्राप्त होता
क्यों जलन होने लग गई ना भाई आप भी अपनी लक्ष्मी जी को ज़रा इस सपने के बारें में बता कर तो देखो पर सावधान ! अपनी कोई गारंटी नही सै ! की वो किस तरियां रियकट करेगी ! क्यों की एक लक्ष्मी जी (घरवाली) के रहते , दूसरी को सवारी कराने मे किम्मै खतरा सा भी है ! अगर कही जूते चप्पल खा बैठे तो अपनी जिम्मेवारी नही सै !
और म्हारे ब्लॉग पर इसका डिसक्लेमर भी दे राख्या सै की म्हारी सलाह मानने के पहले विशेषज्ञ से सलाह कर लें ! और भाई त्रिपाठी जी आपने तो म्हारी फोटू कै साथ साथ यो पढ़ भी लिया होगा ! भाई म्हारा तो यो उल्लू बनना म्हारा जनम सार्थक कर गया बस यारों पूछो मत , ख़ुद करके देखा ल्यो ! इब थारा थम सोच समझ ल्यो और घर जाके,हिम्मत हो तो बात कर लियो !
और इब पं. सुरेश नीरव जी आज रात का तो आपने नशा ही उतारने का मन बना राख्या सै ! जो इन भडासी भाइयां नै गधा बतान लाग रे हो ! पर वो कहते हैं ना की " जहाँ ना पहुंचे रवि , वहा पहुंचे कवि" !आपका गधा पुराण पढ़ कर पहले तो लगा की पंडितजी से हमारी खुसी बर्दास्त नही हो रही दिखै , और आज सारी रात हम तो गधे बने रहेंगे और कुम्हार म्हारी ऎसी तैसी करता रहेगा ! सही में पहले तो हम आपकी सलाह पर चोंक उठे की भाई यो आदरणीय कवि महाराज की आँख्यां मे हमने कुणसा काजल पाड़ दिया, जोइतनी जल्दी दोस्ती से दुशमनी पर आ गए !
और हमको तुंरत क्रिशन चंदर जी के गधे की याद आगई इतना असाधारण , अति महत्व पूर्ण गधा ! ये गधा पंडीत नेहरू जी से भी मिल आया था ! और यार पंडितजी इस गधे ने आगे क्या क्या किया ? बस पूछो ही मत ॥ पर आप तो म्हारेसाथी और प्रेरणा श्रोत हो तो बताना ही पडेगा ! हम कोई इक्कले इक्कले ही थोड़े मजे लेंगे ! आगे ... आगे ... आगे.. यार कुछ लिखने में जी घबडा रहा है ! म्हारी लक्ष्मी आस पास ही मंडरा रही है ! कही पढ़ लिया तो सपने तो धरे रह जायेंगे और आज रात के डिनर के भी वांदे पड़ जायेंगे !पर क्या करूँ ? आप लोगों के प्रेम के सामने ये रिस्क भी उठा रहा हूँ ! अगर कल तक मेरी कोई ख़बर नही मिले तो समझ लियो के मैं लक्ष्मी जी के हत्थे चढ़ लिया !
हाँ तो, आगे इस गधे का एक लखपति सेठ ( आज कल करोड़पति ) की नखरे दार छोरी पर दिल आ गया ! और ये गधा भी बिचारा रोमांटिक मूड मे आ गया ! अब जो, भाई श्री यशवंतजी, श्री जगदीशजी त्रिपाठी जी,प. नीरव जी , डा. श्रीवास्तव जी (और मैं तो हूँ ही) जैसे बड़े गधे हैं , उनको तो आगे की कहानी मालूमहोगी और भाई जो थोड़े छोटे गधे हैं उनका मार्ग दर्शन अपने प. त्रिपाठी जी कर ही देंगे !अच्छा तो इब मैं तो जा रहां हूँ गधा बनने , आपकी इच्छा हो तो आप जानो !
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