दोस्तो,
आज अंग्रेजी को विश्व भाषा के रूप में मान्यता मिल चुकी है .जिस तेजी से हमारे देश में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा को विस्तार मिल रहा है , मुझे लगता है आने वाली पीढ़ी "भड़ास" को bhadas , मे बदलकर ही मेरी तरह बकवास करेगी . इसी क्रम में एक चिंता धर्म को लेकर भी है , हमारे पूजा पाठ के सारे विधिविधान हिन्दी या संस्कृत में ही हैं , जबकि आज हम ग्लोबली फैल चुके हैं . .........., यद्यपि एक तरफ तो हमारे सामने मारीशस वगैरह के उदाहरण हैं जहां आज हिन्दी इसलिये पनप पा रही है क्योकि वहाँ हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले ,भारतीय मूल के लोग, विस्थापित होकर रामचरित मानस जैसे धर्म ग्रंथौँ के साथ गये थे .
पर दूसरी ओर यह उदाहरण भी है कि बाइबिल का अनुवाद दुनिया की हर भाषा में हो कर , मुफ्त बाँटा जा रहा है .......जबकि हिन्दु धर्म की पूजा पद्धतियों का अंग्रेजी संस्करण तक नहीं बनाया गया है .
आज के व्यवसायिक युग में यदि कोई व्यक्ति या संस्था मेरे इस मौलिक वैचारिक आइडिये को विस्तार दे और हिन्दू धर्म के अथाह सागर को विश्व की अन्य भाषाओ में सुलभ कराने में जुट जावे तो न केवल स्वयं के लिये वह धनार्जन कर सकेगी वरन हिन्दुत्व जैसी सुसंस्कृत विचारधारा का प्रचार कर एक जन कल्याणकारी कार्य भी कर सकती है .यह नई पीढ़ी के लिये अति उपयोगी होगा व उन्हें हिन्दुत्व से जोड़े रखने में भी कारगर भूमिका निभा सकेगा .
सहमत हैं मुझसे?
lagata hai. is kam me aapko maharishi mahesh yogi ka yogdan pata nahi hai. unhone sabase pahale geeta ka english aanuvad prakasit karaya tha. fir doosre granthon ka. esa jaroor hai ki geeta ke slok saskrat me hai, lekin slok ka aarth english me. fir bhi aapka idia bahut aachha hai. sadhubad
ReplyDelete