9.6.08

सब धान बाईस पसेरी !!!!!!!

मुम्बई हो या झुमरी तलैया प्रशसन और कार्यपालिका सब जगह एक जैसी ही। मैथिली में एक मुहावरा है कि "भोज काल में कुम्हर रोपु" और इसको चरितार्थ करते हैं हमारे ये प्रशसन जब बारिश का महिना आता है। अभी-अभी मोनसून का पदार्पन ओर मुम्बई (बी एम सी) कि सारी पोलपट्टी यौं खुली मानो छोटे बच्चे की पेंट का नाडा जब तब खुलता रहता है। इतिहास से सीख लेने की बजाय वापस अपने पुराने कार्य को दुहराते हुए बारिश से ठीक पहले सभी नाले की उगाही शुरु, अव्यवस्था का आलम ऐसा कि सीवर की खुदाई ओर सडक खुलना तब सुरु जबकि अगले दिन से मोनसुन का आगमन। वाह रे हमारे डपोरशंख ओर आपके डपोरशंखी दावे।
जब जब अन्य राज्य से तुलना करो तो खुद को हमेशा बेहतर ओर समर्थ बताने वाले निकम्मों कि पोलपट्टी खुल कर सामने। सडक पर जाम, गन्दगी का अम्बार और दावों कि पोल बहते हुए पानी के साथ समन्दर की ओर।
कुल मिलाकर हमारे देश के तन्त्र को चलाने वाले लोग एक ही नाडे से बन्धे हुए हैं। और लालफ़िताशाही के मंजे हुए खिलाडी हैं।

फ़ोटो साभार :- Times Now.

3 comments:

  1. रजनीश भाई, काफ़ी अर्से बाद आज भडास पर आने का वक्त मिला। कल शाम के वक्त बी एम सी के किसी बडे अधिकारी से वार्ता आ रही थी किसी
    समाचार चैनल पर, उस महानुभाव का कहना था
    कि पहली बारिश थी, इसी वजह से सडको पर पडी धूल के कारण मैन होल तथा सीवर इत्यादि जाम हो गये। यही कारण था जिससे कि मुम्बई में
    चारों ओर पानी पानी हो गया।
    समझ नही आता ये लोग भोली भाली जनता को
    कब तक ऐसे ही बेवकूफ़ बनाते रहेंगे। अपनी
    कमियों की ओर इनका कोई ध्यान नही बस बहाने एक से एक॥

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  2. रजनीश भाई,अगर इनके बहानों का संकलन कर के एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित कराया जाए तो क्या वो ट्रेजिक किताब होगी या कामिक?

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