7.6.08

चंबल का दूसरा चेहरा भी है..

चंबल के बीहड़ों की जब भी चर्चा चलती है तो अनायास ही बागी सरदार मान सिंह से शुरू हुई एक परंपरा लाखन सिंह, रूपा, पुतली बाई से चलकर मोहर सिंह, माधव सिंह,मलखान सिंह से होती हुई निर्भय गुर्जर तक पहुंचकर थोड़ा रुकती है और भविष्य के नामों के लिए बांहें फैलाने लगती है। मगर चंबल की यह घाटी महर्षियों की तपोभूमि और क्रंतिकारियों तथा कलाकारों की साधना स्थली रही है, यह बात दुर्भाग्य से हर बार अचीन्ही रह जाती है। पौराणिक गाथाओं की आभा से दीप्त-प्रदीप्त महर्षि भिंडी ( जिनके नाम से भिंड नगर बसा) और गालव ( जिनके नाम से ग्वालियर नगर बसा) की तपःस्थली के ही पुण्य-प्रसून थे-संगीत सम्राट तानसेन और बैजू बावरा। रायरू गांव की गूजरी, जो आगे चलकर राजा मानसिंह की रानी मृगनयनी बनती है,जिसने अपने पराक्रम से यवन सेना को पराजित करके तोमर वंश की यशःगाथा को इतिहास में दर्ज कराया था, वह इसी चंबल की माटी की बेटी थी। इसी चंबल की माटी के पुत्रों को बागी संबोधन का क्रांतिकारी चेहरा देनेवाले मैनपुरी षड्यंत्र कांड के पं.गैंदालाल दीक्षित ने मई गांव में ही बैठकर क्रांति का ताना-बाना बुना था और उनके शिष्य काकोरी कांड के महानायक पं. रामप्रसाद बिस्मिल (जिनके बाबा तंवरघारःअंबाह के थे ) ने भदावर राज्य के पिनाहाट और होलीपुरा में फरारी के दिनों में मवेशी चराते हुए मनकी तरंग और कैथराईन-जैसी कृतियों का सृजन किया था। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की जब पूरे देश में लौ बुझने लगी थी तो चंबल और यमुना के दोआब में रूपसिंह और निरंजन सिंह ने तात्याटोपे और शाहजादा फिरोजशाह को साथ लेकर फिरंगी सेना को धूल चटाते हुए यहां आजादी का परचम फहराकर एक नया इतिहास लिख दिया था। यहां के लोकगीत लंगुरिया और सपरी में चंबल की माटी की सौंधी-सौंधी गंध महकती है। और शस्त्रीय संगीत में ग्वालियर घराना क्या हैसियत रखता है, यह बताना निहायत अनुत्पादक श्रम होगा। इस क्षेत्र के बुद्धिजीवी, चंबल के इस सांस्कृतिक आयाम को, जो कि दुर्भाग्यवशात् अचीन्हा ही रह जाता है,व्यापक फलक पर लाकर सर्वव्यापी बनाएं,इस सार्थक प्रयास की मैं उनसे पूरी शिद्दत के साथ उम्मीद करता हूं...एवमस्तु।।
विनयावनत
पं. सुरेश नीरव

4 comments:

  1. CHAMBAL ka hone par mujhe garv hai.

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  2. suresh bhai main chambal ke is pach ko bhi samil karoonga. saath hi chambal aur uski shayak nadiyon ke baare main bhi likhunga. acha lga aur mujhe umeed thi ki is vishay ko log pasand karenge. yahi mene yasvant ji se bhi kha tha.
    ak baat aur ki bismal ke pita ambah tahsil ke gaon ruyar barbai ke the. is aur lakhan singh ki jamin par me ja chuka hoon.

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  3. पंडित जी नमन,
    चम्बल के इस अनछुए पहलू को ज्ञान में बदलने के लिए.
    आपको धन्यवाद

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