2.6.08

हाय रे चला गया सबका बाप ...

.... तेरा बाप कौन है- तेरा बाप कौन है यही सवाल बार बार उठता रहा और बेटा जवाब देता रहा कि एक दिन मेरा बाप जरूर आयेगा। और वो एक दिन आ गया । वो दिन था १८ अप्रैल। और संदेश दिया गया कि मनोरंजन का बाप डी एल एफ आई पी एल आगया । और अब वो एक जून को विदा होगया। इस बाप ने भारत में तकरीबन डेढ़ महीने तक मुशाफिरी की। और इसका भूत इस कदर छाया कि कोई नहीं बच पाया। सबको लील गया। मैं ख़ुद लाख कोशिश करता रहा कि आई पी एल के भूत से दूर रहूँगा , लेकिन रोजी रोटी के चक्कर में आई पी एल के आगोश में मैं भी समां गया। मीडिया को तोपूरे महीने आई पी एल का भूत सवार रहा। दरअसल इस बाप का बाप है ललित मोदी । जिसने कारोबार की द्रष्टि से आई पी एल को पैदा किया। और फ़िर चीयर लीडर्स ने उसमे और तड़का लगा दिया। और तड़का ऐसा लगा कि बांकी के सीरियल जैसे सास बहू और तमाम सरिअल की बैंड बजा गयी . टैम मीडिया रिसर्च की माने तो शाहरूख की टीम कोलकाता और माल्या की टीम बेन्गुलुरू के बीच खेले गए पहले आई पी एल मैच में व्यूअर्शिप आठ से ऊपर पहुँच गयी थी। जबकि सुपर हिट सीरियल की व्यूर्शिप पाँच के आस पास रहती है। जाहिर है आई पी एल सास बहू जैसे सेरियलों को पछाड़ दिया है। जनता क्रिकेट का तड़का देख रही है। आई पी एल की भूख थी और बाज़ार की मांग रही होगी कि इस टूर्नामेंट में तड़का लगना चाहिए। सो अमेरिका से चीयर लीडर्स को न्यौता दे दिया गया। लेकिन आई पी एल मैच के दौरान मुम्बई के कुछ नेताओं को चीयर लीडर्स की भंगिमाओं में एतराज हुआ। उन्हें नाचने वाली लड़कियों की छोटी - छोटी चाद्दियाँ और चोलियों में नाच की भाव भंगिमाएँ रास नहीं आयी। आखिर इन्ही नेताओं ने तो ही मुम्बई की बार बालाओं पर पाबन्दी लगवाई थी। बार बलाये तो फ़िर भी बार के हाल में नाचती थी। लेकिन ये चीयर लीडर्स खुले स्टेडियम में नाच रहीं हैं। नातों को नतिक बोध की चोंट लगी। और फ़िर उन्होंने पुलिस से कहा कि ये नंगा नाच नहीं चलेगा। कुछ ने विधान सभा में आवाज़ उठाई। पुलिस ने आदेश दे दिया कि चीयर लीडर्स को आचार संहिता के मुताबिक ही कपडे पहने होंगे। यहाँ ऊंचे पैंट और उरेजों का विभाजन दिखाने वाली चोलियाँ नहीं चलेगी। यानी मुम्बई पुलिस और नेता जिसे अश्लील समझते थे उस पर पाबंदी लग गयी। वहीं टूर्नामेंट के दौरान एक ख़बर आयी कि आई पी एल कमिश्नर ललित मोदी सार्वजनिक स्थान में सिगरेट पी रहे थे। पुलिश में शिकायत भी दर्ज कर दी गयी। लेकिन भाई समझाना होगा कि बी सी सी आई के सामने आई सी सी भी पानी भारती है। तो फ़िर तुम किस खेत की मूली हो। अभी और किस्सा सामने आ गया कि रात दस बजे के बाद चीयर लीडर्स नाचेंगी नहीं। तो फ़िर भाई अभी तक क्यों बैंड बजवा रहे थे। क्या वो चीयर लीडर्स को देखकर भूल गए थे। खैर कुछ भी हो । अब तो चैनल भी बार-बार चेयर लीडर्स पर ही ब्रेक लेते थे। अख़बार में क्रिकेटरों की जगह चीयर लीडर्स की फोटो छपती थी। अब सवाल ये उठता है कि क्या बाज़ार को देख कर रंग बदल गया है। क्या भारतीय समाज अब सिर्फ़ यूरोप के बजारू मूल्यों के सामने गिरवी रखने के लिए ही बचा है। या हमारा मीडिया ही बाज़ार का चीयर लीडर हो गया है। लेकिन अब तो मनोरंजन का बाप चला गया , और कई सवाल छोंड गया।

3 comments:

  1. "मनोरंजन का बाप चला गया , और कई सवाल छोंड गया।"

    बिलकुल सही बात कही है आपने...!


    भारतीय समाज कि अब दिशा बदल रही है....ये हमको कहां ले जायेगी ,बोल नही सकते..!

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  2. hindi lekani ka yahi hai den jab same mele aape man ke bate nekal lo sathiyo same kam hai or karna hai aneko kam hindi ko banan hai is duniya me mahan.
    chlo koe bat to lekh kar hi sahi aa ja rhi hai akhhro pr khar kal mera v samei aajayag is blog ke shhar me

    ranchi se

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  3. "मनोरंजन का बाप", शायद यह नाम भी मीडिया ने ही रखा था. खूब माल बटोरा लोगों ने. मीडिया ने भी. पागल पब्लिक लगी रही इन को मालदार बनाने में और अपनी जेब हल्की करने में. कल किसी और बाप को ले आयेंगे. पैसे के लिए तो यह लोग गधे को भी बाप बना लेंगे.

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