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जय नीरव, जय यशवंत, जय भड़ास।
यशवंत दादा के सम्मान में, महीने भर से मन में दबे गुबार के दबाव में एक हास्य गजल भेज रहा हूं। आशा है मंच देंगे, आभारी रहूंगा। भड़ास को घर-आंगन मानता हूं इसलिए भेज रहा हूं।
मुलाहिजा-----
शीर्षक- पराठे में आइसक्रीम
त्वचा है भैंस की, चेहरे पर विनम्र बैल की मुस्कान है।
बख्शीश लेते देखा मोहल्ले में तो लगा वाकई महान है।।
विचार तस्करी के हैं, एनजीओ की आढ़त से थोक लाता है।
डाल के चुग्गा दिहाड़ी पर रेजा से फटकता, बिनवाता है।।
इंटलेक्चुअल है, रिभोलूसनरी है, ग्यान की बरखा है।
प्रभात से रात तक चलता चमचों का चरखा है।।
आदमी अच्छा है, बस एक पोशीदा बीमारी है।
जो इसके ईगो को आंख मार दे बलात्कारी है।।
नैतिक इतना है कि आइसक्रीम लपेटी है पराठे में।
इसका हर राजदार सिसकता मिला है घाटे में।।
बाप मास्टर है प्राइमरी का प्रोफेसर बताता है।
खाई मकुनी दरभंगा में दिल्ली में बर्गर बताता है।
कर्ज देते कहता- दोस्त है, दास है, दासानुदास है।
न आना फंदे में किसान यह कर्नाटक की कपास है।।
वीरेंदर गठवाला
-किसान-
मुजफ्फर नगर, यूपी।
(भड़ास के लिए आई एक मेल)
बूम बूम ..... बैंग - बैंग धांय धांय धड़ाम धुम्म.....
ReplyDeleteखतरनाक है किसानी कर डाली,इसको कहते हैं पिछाड़ी में हल चला कर सरसों बो देना.... लेकिन अब ये जमीन बंजर हो गयी है ये बीज उगेंगे नहीं.....
ug gaye to bhi kya. koun sa tel nikalana hai.
ReplyDeletekyon kalua ko gali dete ho kisan bhai. aajkal vo aashirvad dene laga hai.
ReplyDeletedada,
ReplyDeletebahoot khub hum apne in kisaan mitra ka saadar abhinandan karte hain or inki is behtareen dhoom dhadaaka par inko badhaai dete hain. bhadaasi logon ab pandit jee sachet ho jaayen ek or dhoom dhoom aa gaya hai takkar dene.
jai jai bhadaas.