13.7.08
देवर के मायने
रात वोदका का आचमन कर सोया था।नींद अच्छी आई।लेकिन सुबह-सुबह सेलफोन बज उठा.गुस्सा तो बहुत जोर का आया पर यह सोच कर फोन उठा लिया कि कहीं फोन बास का न हो.शायद ख़बर में कोई गलती चली गई हो.हालांकि ऐसा था नहीं.फोन भौजाई का था.मेरे हलो करते ही उन्होंने सीधा सवाल किया,रात दफ्तर से कितने बजे लौटेगो ? क्यों भौजी.कोई खास बात है क्या? रात को खाना खिलाना चाहती हो?मैने भी बजाय जवाब देने के उनसे एक साथ तीन सवाल कर डाले.उधर से भौजाई की आवाज आई,नहीं.आज शनिवार है.रात में सब्जी खरीदने बाजार चलना है.तुम्हारे भैयू जी बाहर गए हैं.सब्जी का झोला काफी वजनी हो जाता है.सो वह साथ में जाते हैं.झोला उठा कर लाते हैं.आज यह काम तुम्हें करना पड़ेगा.मैंने मुसीबत छुड़ाने के लिए कहा.भौजी मैं भैयू जी की जगह कैसे ले सकता हूं.क्यों ? भौजाई की आवाज आई,तुम मेरे देवर हो.और देवर वही होता है जो दे वर का काम.सो तुम्हें सब्जी का झोला तो ढोना ही पड़ेगा.यह तो कहो कि मैं भैयू जी द्वारा किए जाने वाले अन्य ढेर सारे काम तुम्हें नहीं सौंप रही हूं.मेरा अहसान मानो.मैंने जवाब दिया,भौजाई आपका आदेश मानना मेरी मजबूरी है. लेकिन कभी इनवर्टेड कामा वाला काम के लिए भी तो देवर को आजमा कर देखो...हां,हां वह भी कभी सौंपूंगी,लेकिन इस बार नहीं.इस बार तो उसकी डेट तक तुम्हारे भैयू जी वापस आ जाएंग.अब मेरे सामने भौजाई का आदेश शिरोधार्य करने के अलावा कोई चारा नहीं था.हालांकि मै जानता था कि वह डेट कभी नहीं आएगी.क्योंकि भौजाई मुझे यह आश्वासन ३२१वीं बार दे रही थीं.हर बार भैयू जी उस डेट के पहले लौट आते हैं.भौजाई डेट ही ऐसी तय कर उन्हें बाहर भेजती हैं.हम जैसे उल्लू को सब्जी का झोला उठाने के लिए देवर की मनमाफिक परिभाषा गढ़ लेती हैं.
kya yahi sab chutiyappa phailakar blog charchit karna chah rahe ho
ReplyDeletefrom beginning of your blog I am seeing there a huge amount of chutiyapa is going on such this type.
ReplyDeletesudhar jao.jaag jao.ankhe kholo vats, Duniya veero se khali nahi hai. sahi mudde uthao putr janchetna failao samaj me. sasti lokpriyta mat hasil karo. hasil bhi nahi hogi.
जियो राजा...चपले रहा......
ReplyDeleteबढिये रहल भाई. आनंद आवेला पढ़ पढ़ के, लागल रह राजा जी ....
ReplyDeleteपन्डीतजी प्रणाम ! कभी ताई को छेड़ रहे हो कभी भौझाई (भाभी) को !
ReplyDeleteआख़िर आपके इरादे क्या हैं ? मत चढो इनके चाल्हे ! ये बड़ा दुखियाती हैं !
पर इनके दुःख में भी आनंद है ! छेड़ते रहो , जो होगा देखा जायेगा !
धन्यवाद
ईमानदारी से कह रहा हूं। बहुत ही वाहियात पॊस्ट है। भडास पर हम गालियां लिखा कर कई तरह की कुठाएं जाहिर करते है।।।। लेकिन यह तॊ वाकई घटिया है।।।। खैर आपकी वाक और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का सम्मान करता हूं।।।। खुशी से परिवार के साथ बैठकर पढियेगा।।।।।
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