5.7.08

जमाने की रफ्तार

मेरी मां के बाल
कमर तक लंबे थे
वे माथे के बीचो-बीच
बिंदिया लगाती थीं
मेरी जानम भौहों के बीच
बिंदिया लगाती हैं
हर महीने ब्यूटी पार्लर जाकर
बाब कट बाल कटवाती हैं
जमाने की रफ्तार यही रही तो
२० साल बाद मेरी पुत्रवधू
नाक पर बिंदिया लगायेगी
हर हफ्ते मुंडन कराएगी
जगदीश त्रिपाठी

4 comments:

  1. 40 साल बाद आपकी पोतावधू
    मुंह में बिंदिया डाल चबाएगी

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  2. पंडित जी,क्या गजब कर रहे हैं.... महिलावादी संगठन अभी बिन्दिया के नीचे उतारने की बात को लेकर आपका घेराव करने जा रहे हैं कि आखिर आपने नजर क्यों डाली अपनी बहू(की बिन्दी)पर.... बच के रहियेगा.... क्या मर्दों में कोई बदलाव नहीं आया??????

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  3. पंडित जी,
    ये बिंदिया का सरकाना गजब ढा गया, ;-)
    वैसे आप जानम तक ही रहिये उस से नीचे मत जाइए नहीं तो नैतिकता का सवाल भी आयेगा कि पंडित जी कहाँ कहाँ नजर डालते रेट हैं :-प
    जय जय भड़ास

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  4. भई डाक्टर साहब थम गलत मत समझो ! अपनै पंडितजी तो बरसात के मौसम मै बरसातिया गये हैं इस लिये ऐसी श्रृंगार रस से ओतप्रोत कविता करण लाग गये सै !
    और भई झा साहब , म्हारे पंडीत जी तो "गत और आ(गत) योवन तक पर नजर डाल लिया करै सै ! और आप परेशान होण लाग रे हो ?
    भई इब्बी तो पंडीत जी माथे तै शुरु हुये सै ! आगे कडे तक पहुंचैंगे ? यो तो ये ही बता सकै सै ! क्यु पंडीत जी महाराज ?
    आप तो लगे रहो ! अबकी तो सीधे सिक्सर ही दे मारो आप तो !
    we want sixer........ we want sixer.......

    जै हो परम भडासी पंडितजी की !

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