20.7.08

दर्द

दर्द का सैलाब सीने मे मुस्कुराने से कम कब हुआ है
हजारो जुगनुओ के जलने से भी अँधेरा कम कब हुआ है

3 comments:

  1. भाई,जुगुनुओं से अंधेरा कम इसलिये नहीं हो पाता क्योंकि उनका पिछवाड़ा सुलगता है और भड़ासी जल कर उजाला ला सकते हैं क्योंकि उनके दिल जलते हैं.. दिलजले...दिलजले...(अमरीश पुरी जी याद आ गये)
    जय जय भड़ास

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  2. सरकार बचे या जाये, लेकिन मायाबती का देश का प्रधानमन्त्री बनने का सपना, सपना ही रह जायेगा, क्योकि जाति और धर्म के नाम पर सबसे गन्दी राजनीति मायाबती ने ही की है.और ये पब्लिक हे ये सब जानती है.

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  3. डागडर बाबु,
    ई अनाम बेनाम महोदय भांग खा के आये हैं कि बौराये हुए हैं, कहीं कुछ भी लिख दो। अरे माया ने गंदी राजनीति की है तो तुम्हारी गांड क्यौं सुलगने लगी, उसी से मरवाओ जिसनी साफ़ राजनीति की है,
    हां जलजले के पास आने पर साफ़ हो या गंदी सभी जल जाते हैं।

    जय जय भडास

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