9.7.08

परमाणु उर्जा कि राजनीति

परमाणु उर्जा
आज हमारा देश एक बहुत ही बडे राजनैतिक संकट से गुजर रहा है सारे के सारे राजनैतिक दल, अपने दलगत स्वर्थो से उपर उठ कर सोचने की सामर्थ्य खो बैठे है चाहे वो भारतीय जनता पाट्री हो या कांग्रेस या अन्य राजनैतिक दल सभी के सभी एक दुसरे के टांग खीचने के अलावा और कुछ नही कर सकते किसी भी देश के प्रमुख के पास अंतर्राष्ट्रीय समझौता करने का अधिकार होता है और अगर नही हो तो वो देश का प्रमुख कैसा, लेकिन् भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ सत्ताधारी दल को अपने प्रधानमंत्री पर भी विश्वास नही, हम कह सकते है की ईन सबके लिये कही न कही पुर्ववर्ती प्रधानमंत्री जिम्मेवार है जिन्होने ईस पद की गरीमा को धुमिल किया, और ईसके लिये सारे के सारे दल एक समान रुप से जिम्मेवार है
प्रधानमंत्री जापान जी ८ सम्मेलन में जापान गये है, शायद अब ये परमाणु उर्जा मसौदा एक समझौते का रुप ले ही ले लेकिन हमारे देश के कर्ता धर्ता ये नही कह सकते की ईससे हमारे देश की उर्जा समस्या का समाधान पुर्ण रुप से हो जायेगा हमे अपने संसाधनो पर ध्यान तो देना ही पडेगा और उससे भी ज्यादा उनका समुचित उपयोग सुनिश्चित करनी होगी ताकी उनका दुरुपयोग रुके
१. देश की ट्राफिक सिग्नल का सुधार- आयातित तेल का लगभग १०% सिर्फ यहाँ पर जाता है
२. स्ट्रीट लाईटे - स्ट्रीट लाईटे लगभग पुरे दिन जलती रहती है
३. घरो का निर्माण - विकसित देशो में घरो का निर्माण ईस प्रकार होता है की उनमे बिजली की खपत कम हो
४. पब्लिक ट्रांसपोर्ट- ईन्हे बेहतर करने की जरुरत ताकी लोग अपने वाहन का ईस्तेमाल कम करे
५. कुडा-कचडे का समुचित रुप से प्रबंधन हो- दिल्ली नगर निगम के एक योजना(रिसाईकिल्ड कर एनर्जी बनाने की विधी को) कनाडा ने सहयोग करने क वदा किया है जरुरत है हमे ईस तरह के किसी भी प्रयास को प्रोत्साहित करने की
६. सौर्य उर्जा के उपर शोध करने जरुरत
७. वैकल्पिक उर्जा के नये स्रोतो की खोज करना
८. लोगो की भागीदारी सुनिश्चित करना

2 comments:

  1. धीरज भाई,अपने देश में ऊर्जा संरक्षण की बात यहां के लोगों को क्या मंत्रियों तक को समझ नहीं आती सौर ऊर्जा के बारे में शोध एवं विकास तो उनकी कल्पनाओं से परे का विषय है...

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  2. धीरज भाई,
    पते कि बात करी है आपने और जवाब भी ख़ुद ही दे दिया है. याद अत है जब बिहार में पनबिजली कि बात चली थी तो लालू जी ने ये कहते हुए इनकार किया था कि पानी से बिजली निकल लेंगे तो खेतों में पहोंचने वाली पानी से ऊर्जा ख़तम हो जायेगी. तकनिकी के मामले में कामो बेश सभी राजनेतागन ऐसे ही हैं. सिर्फ़ हाय तौबा और आगामी चुनाव कि खातिर चिल्ल पों.
    जय जय भड़ास

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